सिवनी ( संवाददूत ) – :- पालीटेक्निक मैदान सिवनी में चल रही भक्तिमय श्रीराम कथा के नौवे एवं vishram दिवस पर परमपूज्य श्री चित्रकूट तुलसीपीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कथा के आठवें दिन की कथा me रावण द्वारा माता सीता का छल पूर्वक हरण कर लिया जाता है jiske पश्वात भगवान श्रीराम की भेंट हनुमान एवंं सुग्रीव से होती है जो भगवान श्रीराम को माता सीता की खोज के लिये मदद करने का वचन देते है और इसी दौरान bali का वध होता है । आगे सुंदरकांड की कथा को विस्तार पूर्वक जनसमुदाय को सुनाते हुये रामभद्राचार्य जी ne बताया कि हनुमान जी महाराज जामवंत जी की कहने पर समुद्र को पार करने के लिये तैयार हो जाते है । इस दौरान श्रीराम भक्त हनुमान पाँच कार्य करने का संकल्प लेते है पहला काम समुद्र को पार करना, माता सीात के दर्शन अशोक वाटिका को उजडऩा, अक्षय कुमार का वध करना और रावण की सोने की लंका को jalana।
स्वामी रामभद्राचार्य जी ने बताया कि श्रीराम भक्त हनुमान ने भगवान श्रीराम का स्मरण किया और हनुमानजी जब सीता की खोज में समुद्र पार कर रहे थे, तब उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुरसा और सिंहिका नाम की राक्षसियों ने हनुमानजी को समुद्र पार करने से रोका था, लेकिन वे नहीं रुके और लंका पहुंच गए। हमें भी कदम-कदम पर ऐसे ही संघर्षों का सामना करना पड़ता है। संघर्षों से न डरते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढऩे की सीख हनुमानजी से लेनी चाहिए। हनुमान जी ने बुद्धि से काम लेते हुये जहाँ समुद्र पार करते समय सुरसा के समक्ष पहले अपने शरीर को बढाया और जैसे जैसे सुरसा ने अपने शरीर को बढाया हनुमान जी ने भी रूप दोगुना कर लिये परंतु एक समय ऐसा जब सुरसा रूप बहुत बड़ा हो गया तो हनुमान जी ने सूक्ष्म रूप धारण कर सुरसा के मुँह में प्रवेश कर बाहर आगये सुरसा जो नागों की माता थी उन्होंने हनुमान जी को आशीष दिया कि हनुमान तुम जिस ईश्वरीय कार्य से जा रहे हे वह करने में आप सफल हो जाओगे । सुरसा को प्रणाम कर हनुमान जी लंका पहुँचे जहाँ उन्होंने लंकनी का वध किया और लंका का भ्रमण कर एक एक भवन देखा तथा श्रीराम के नाम से सुज्जित एक भवन को देखकर उस स्थान पर पहुँचे जहाँ श्रीराम के भक्त विभीषण रहते थे । विभीषण से माता सीता और रावण की लंका के संबंध में जानकारी लेकर माता सीता के पास पहुँचे माता सीाता को श्रीराम की दी हुई अंगूठी देते हुये अपना परिचय दिया और फिर अशोक वाटिका पहुँचाकर उसे उजाड दिया और यहीं अक्षय कुमार का वध किया ।
अक्षय कुमार वध के पश्चात मेघनाथ नागपास में बांध कर रावण के दबरबार में हनुमान जी को लेकर जाते है जहाँ रावण के आदेश पर हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी जाती हनुमान जी घूम घूम कर पूरी लंका जला देते है केवल विभीषण जी एवं माता सीता के निवास को छोड़़ देते है माता सीात का आशीष लेकर हनुमान जी श्रीराम के पास वापिस जाते है और कथा को स्वामी जी सुंदर और भक्तिपूर्ण तरीके से बताते हुये विभीषण जी के राज तिलक और समुद्र पर रामसेतु निर्माण की कथा को बताते हुये लंका पति की विशाल सेना का नाश करते हुये रावण को मारने और माता सीता सहित अयोध्या पहुँचने की विस्तार से कथा का वर्णन करते हुये भगवान श्रीराम के राज तिलक तक का सुंदर वर्णन करते है ।
स्वामी रामभद्राचार्य जी ने भक्तिमय सुंदर राम कथा के साथ ही मंच से कहा कि सनातन पर संकट आये और संत चुप रहे यह संत के गुण नहीं है । उन्होंने कहा कि मैने सनातन की रोटी खाई है सनातन धर्म की वकालत करना और उसकी रक्षा में खड़े रहना हमारा धर्म है उन्होंने इस बात पर आपत्ति की कि देश में सनातन धर्म के बड़े बड़े संत और शंकराचार्य सनातन धर्म पर आक्रमण हो रहा है वे चुप चाप बैठे है उन्होंने इस चुप्पी पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की । सनातन के विरोध में बोलने वाले नेताओं के बारे उन्होंने कहा कि जिस नेता को सनातन धर्म में किसी भी प्रकार का दोष दिखता है वह मुझसे आकर बहस करे और एक भी ऐसा दोष बता दे जो मुझे संतुष्ट कर सके मैं जगद्गुरू की पदवी छोड़कर त्रिदंड गंगा जी बहा दूंगा उन्होंने सनातन धर्म को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धर्म बताते हुये कहा कि सनातन धर्म पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाने और विश्व की मंगलकामना करने वाला धर्म है इसमें कहीं भी संकुचित भाव नहीं है । स्वामी राम भद्राचार्य जी ने कहा कि इंडिया गठबंधन सनातन समाज को बंटाने का षडयंत्र कर रहा है और देश को तोडऩे के लिये यह गठबंधन काम कर रहा है । स्वामी जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि आगामी चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं है चुनाव धर्म और अधर्म के बीच हो रहा है उन्होंने सनातन धर्म की समर्थक भाजपा को जिताने के लिये उपस्थित जनसुदाय को कहा और कहा कि सनातन धर्म को मुगल और अंग्रेज नहीं मिटा पाये यह सनातन विरोधी भी कुछ नहंीं कर पायेंगे आप लोग सनातन की समर्थक राजनैतिक पार्टी के साथ खड़े रहे ।
कथा के अंतिम दिवस पर कथा स्थल पर सुबह के समय हवन का कार्यक्रम संपन्न हुआ इस कार्यक्रम में अनेक भक्तों ने शामिल होकर पुण्य लाभ का अर्जन किया । दोपहर बाद कथा पंडाल में उपस्थित श्रोताओं को कथा महाराज श्री ने कथा सुनाई और अंत में भंडार प्रसाद सभी उपस्थित जनों ने ग्रहण किया । स्वामी राम भद्राचार्य जी ने सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन को स्व रचित मानस की प्रति भेंट कर इसका अध्ययन करने की आज्ञा दी । सिवनी विधायक के दोनों पुत्रों ने महाराज श्री से गुरू दीक्षा प्राप्त की ।