लखनादोंन – अपनी स्वयं प्रशंसा करना मतलब अपने गुणों को नष्ट करना..
श्री शिव सागर जी_ ( पर्युषण पर विशेष )

नगर में विराजमान गुरुदेव श्री शिवसागर जी महाराज ने पर्यूषण पर्व के उत्तम मार्दव धर्म को समझाते हुए कहा कि आज उत्तम मार्दव धर्म का दिन है। हम भी ऐसे महान धर्म के दिन अपनी आत्मा में ऐसा पावन वह धर्म कैसे प्रकट कर सकते हैं? हमें उत्तम मार्दव धर्म का पालन करने के लिए मृदु बनना पड़ेगा। मान कषाय का त्याग करना होगा। पूर्ण रूप से मानव धर्म का अपने जीवन में पालन ऐसे कषायों के विसर्जन से ही होता है। जब तक आत्मा पूज्य पुरुषों के लिए झुकती नहीं है, प्रेम नहीं करती, अपनापन नहीं रखती सज्जनों आदि की बिनय- भक्ति नहीं करती तब तक यह हमारा धर्म उसके जीवन में नहीं आता।
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है जिनके पास धर्म नहीं है, गुण नहीं है, विनय नहीं है, वे झुक नहीं पाते। ऊपरी शोभा ही शोभा नहीं है, जीवन की शोभा गुण से होती है और गुणों से ही हमारी आत्मा महान बनती हैं। ऐसे गुण सभी के अंदर हैं;बस जिस समय करमों की धूल हट जाएगी तो वह आत्मा में अपने गुण अपने आप ही प्रकट हो जाएंगे। इसके लिए हमें त्याग तपस्या की, मान् कषाय के विमोचन की आवश्यकता है। जब आत्मा गुणों से भर जाती है तो प्रज्ज्वलित हो, प्रकाशमान भी होने लगती है। मुनि सेवा करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए। गुणियों की सेवा ,साधुओं की सेवा हमें उत्तम मेवा देने वाली होती हैं। वैसे तो मुनि मार्दव धर्म का पालन करते हैं परंतु सामान्य से श्रावक भी इसका पालन करते हैं जैसे इंद्र भूति गौतम का महावीर भगवान के समवसरण में मान दूर हो गया था। गुरुवर ने बताया कि अपनी आत्मा की प्रशंसा मतलब अपने गुणो को नष्ट करना है। बड़ों के गुणगान करने से उनकी प्रशंसा करने से एवं अपनी आलोचना करने से मान चूर होता है। ऐसा व्यक्ति ऊंचाइयों को पा सकता है। कोमल मिट्टी को ही आकार मिलता है,कठोर को नहीं आता। अपनी आत्मा को भी हमें कोमल करना होगा। हमें मान कषाय पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। अपने जीवन को महान बनाना चाहिए। अंत में गुरुवर ने कहा कि पाप से घृणा करो, पापी से नहीं । इस तरह हमें मान कथाएं का त्याग करके अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।
शिवसागर महाराज जी के सानिध्य में सुबह अभिषेक, पूजन, शांति धारा ,दोपहर में धार्मिक क्लास का आयोजन, प्रवचन ,रात्रि में भक्तांबर पाठ का आयोजन ,48 दीपों से अतिश्यकारी भगवान महावीर स्वामी की महाआरती ,सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन चल रहा है, जिसमें समाज के सभी लोग उपस्थित रहकर धर्म लाभ ले रहे हैं