सिवनी – आपने अभी तक सुना होगा कि पिता माता मृत्यु होने पर उनका पुत्र ही अग्नि दे सकता है लेकिन कुछेक परिस्थितियाॅ ऐसी होती है तब परिवर्तन करना जरूरी हो जाता है मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है बेटी मुखाग्नि नही दे सकती इस सामाजिक सोच से उठकर शुक्रवार को नगर के वरिष्ठ पत्रकार विपिन शर्मा को उनकी पुत्री ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर यह साबित कर दिया कि अब बेटी पिता को मुखाग्नि दे सकती ऐसे कई सारे उदाहरण हमें खबरो के माध्यम से देखने मिले जहां बेटियो ने अपने पिता या माता को मुखाग्नि दी। और एक जिम्मेदार बेटे होने का फर्ज अदा किया,अंतिम संस्कार की सारी रश्मे भी निभाई,समाल की रूढीवादी परम्परा से उपर उठकर बेटी ने समाज को यह एहसास करा दिया कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नही होना चाहिए। आपको बता दे गत गुरूवार को नगर के वरिष्ठ पत्रकार विपिन शर्मा लम्बे समय से अस्वस्थ्य थे जिनका उपचार नागपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था उपचार के दौरान ही उनका देहावसान हो गया जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार नगर के कंटगी रोड स्थित मोक्षधाम में में किया गया। एक जानकारी आपको और बता दे विपिन शर्मा किसी पहचान के मोहताज नही थे ऐसा हम इसलिए आपको बताना चाहते है क्योकि जब उनकी शवयात्रा निकली तो उनके निवास से मोक्षधाम तक उनके शुभंचितको की भीड हजारो की संख्या में उनके पीछे चल पडी। हर किसी के जुॅबान पर सिर्फ उनके लिए प्रशंसा भरे शब्द ही प्रस्फुटित हो रहे थे,श्री शर्मा के द्वारा किये गए सामाजिक कार्य और उनकी लेखनी को लेकर ही चर्चा चलती रही। हमने ऐसे कलमकार को खो दिया जिसने अपनी कलम को लोहा अच्छो अच्छो को मनवा दिया तो वही आज उनकी पुत्री आयुषी ने एक नई सोच को जन्म दिया कि बेटे और बेटी में कोई फर्क नही होता,अपने पिता की अर्थी को कंघे से लेकर अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर सामाजिक कुरितियो को खंडन किया।







