
सिवनी – शुक्रवार को नगर के बारापत्थर स्थित बिजली आफिस के बाजू वाली रोड प्रकाश नगर के मुख्य गेट में नगर के नगझर ग्राम में स्थित महर्षि विद्या मंदिर की बस फॅस गई वो तो गनीमत थी कि इस बस में स्कूली बच्चे नही थे बस खाली थी लेकिन यदि इस बस मे बच्चे होते तो क्या होता यह स्कूल के ढुलमुल लचीले और लापरवाह मैनेजमेंट की ओर इशारा करता है कि यह स्कूल बच्चो की सुरक्षा को लेकर कितना चिंतित है और कितना संवेदनशील है अब विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या स्कूल द्वारा नौसिखिये चालको द्वारा स्कूली वाहनो के संचालन का कार्य कराया जाता है अब देखना होगा कि आखिर चालक को यह अंदाजा क्या नही था कि यह वाहन यहा से निकल सकता है या नही आखिर चालक कि क्या मजबूरी थी कि उसे इस मार्ग से स्कूली वाहन को निकालना पडा क्या स्कूली वाहन चालक को नही पता था कि रूट। बहुत सारे सवाल गर्त में छुपे है अब देखना बाकी होगा कि महर्षि विद्या मंदिर कि कितनी बसे फिट है कितनी बसो में सीसीटीव्ही चालू हालत में है कितनी बसो में स्पीड गर्वनर लगा हुआ है कितनी बसो में महिला अटेंडेट नियुक्त है बस में फास्टेड बाक्स है या नही बसो में कही क्षमता से अधिक तो बच्चो को नही बैठाया जा रहा और नियम के मुताबिक जो भी सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए वो है या नही बच्चो की सुरक्षा के मददेनजर स्कूल में एम्बुलेंस है या नही और नही है तो क्यो नही क्या स्कूल प्रबंधन सरकार द्वारा विद्यार्थियो की सुरक्षा के बनाये गए नियम और कानून को ढेंगा दिखाया जा रहा है जब स्कूल प्रबंधन स्कूल में पढने वाले बच्चो के अभिभावको से शुल्क वसूलते है तो उसके एवज तें उन्हे सुविधाये क्यो महैया नही कराते अब देखना बाकी होगा कि इस मामले में आरटीओ शिक्षा विभाग और प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।

आईये जानते है स्कूल बसो के लिए क्या है नियम
स्कूल वाहनों में आने जाने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं. स्कूल वाहनों की सुरक्षा को लेकर क्या नियम कानून है, उसका पालन किस तरीके से कराया जाता है. आइये समझते हैं
स्कूल वाहनों की सुरक्षा को लेकर यह है नियम कानून
सभी स्कूलों के वाहनों की समय-समय पर जांच पड़ताल की जाना चाहिए . उन्हें फिटनेस चेकअप के लिए बुलाया जाना चाहिए और फिटनेस कंप्लीट ना होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जानी चाहिए. बस फिटनेस समय समय पर होना चाहिए और जिन बसों में खामियां पाई गई जाती है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाना चाहिए इसके अलावा चालक और सहायक का नेत्र परीक्षण भी किया जाना चाहिए।
स्कूल वाहनों के फिटनेस चेकअप के दौरान यह देखा जाता है कि स्कूल बस का ड्राइवर वर्दी में है या नहीं. गेट पर नंबर लिखा हो, वाहन येलो कलर का हो, बस के साथ एक सहायक हो, यदि बच्ची स्कूल जा रही है, तो एक महिला परिचारिका हो, उसके अलावा गेट के पास बच्चों को खड़ा न किया जाए. गाड़ी को रोककर बच्चों को उतारा और चढ़ाया जाए. इन चीजों का विशेष ध्यान रखा जाता है.ट्रैफिक पुलिस के द्वारा ऑटो चालकों सहित बस चालकों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. इस दौरान उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की जानकारी दी जाती है. उन्हें बताया जाता है कि इनका इन नियमों का पालन करना है. नियमों का पालन न करने वालों खिलाफ पुलिस लगातार कार्रवाई करती है
स्कूल प्रबंधन और बस मालिकों को करते है जागरूक – बसों में जालिया लगाने फर्स्ट एड बॉक्स रखा जाना चाहिए. यदि जो बस मालिक या ऑटो चालक नियमों का पालन नहीं करते, पहले उन्हें समझाइश दी जाती है और उसके बाद भी यदि वे नहीं मानें, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इसकी सूचना स्कूल प्रबंधन को भी दी जाती है. पुलिस के द्वारा रूटीन में समय-समय पर स्कूल प्रबंधन और बस मालिकों को जागरूक करने अभियान चलाया जाता है. उन्हें नियमों की जानकारी दी जाती है।







