अभियुक्त नाबालिग पीडिता का सगा रिश्तेदार होते हुए पीडिता के साथ ऐसा घिनौना कृत्य किया है जिससे समाज में रिश्ते – नाते से ही लोगो का विश्वास कम होते जा रहा है जो एक बुरे परिणाम की ओर इंगित करता है।
सिवनी – महिला थाना सिवनी मे नाबालिग पीडिता किशोरी उम्र 14 वर्ष अपने माता पिता के साथ दिनांक 17 मार्च 2023 को महिला थानेे पहुॅचकर लिखित रिपोर्ट दर्ज करवाती है कि उसके रिश्ते के मौसा उम्र 45 वर्ष निवासी जबलपुर का उसके घर अक्सर आना – जाना लगा रहता था, जब उसके माता पिता घर पर नहीं रहते थे तो एक बार उसके मौसा ने उसके साथ दो-तीन बार अश्लील हरकते की थी एवं एक बार उसके मौसा ने उसके नहाते समय चोरी चुपके उसका अश्लील वीडियो अपने मोबाईल से बना लिया था और कहता था यह बात किसी को बताई तो जान से मार दूॅंगा जिसके बाद पीडिता ने अपने मौसा से परेशान होकर सारी बात अपने माता पिता को बताई जिसके बाद निर्णय लिया गया कि इस बात की जानकारी पुलिस को दे दी जानी चाहिए और फिर किशोरी पीडिता को लेकर माता पिता थाने पहुॅचे और घटना की सारी जानकारी पुलिस को दी। जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने अपराध क्रमांक 14/2023, धारा 354, 354 (क) (1) प), 354 (ग), 506,509 भादवि, एव धारा 66 (म्), सूचना प्रौद्योगिकि ( संशोधन) अधिनियम 2000, धारा 7, 8, 11,12 लैगिक अपराधो से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अन्तर्गत उसके मौसा के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज की थी। विेवेचना पूर्ण होने के पश्चात थाना सिवनी के द्वारा माननीय विशेष न्यायाधीश ( पाक्सो ), जिला सिवनी के न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। मीडिया सेल प्रभारी प्रदीप कुमार भौरे ने आगे बताया कि शासन की ओर से श्रीमति दीपा ठाकुर, विशेष लोक अभियोजक सिवनी के द्वारा गवाहो और सबूतो को प्रस्तुत किया गया एवं विधि संगत तर्क प्रस्तुत किए गए एवं आरोपी को कडी से कडी सजा देने की मांग की। जिला अभियोजन अधिकारी विशेष लोक अभियोजक के द्वारा विशेष रूचि लेकर गवाहों एवं सबूतो को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया एवं तर्क दिया गया कि अभियुक्त नाबालिग पीडिता का सगा रिश्तेदार होते हुए पीडिता के साथ ऐसा घिनौना कृत्य किया है जिससे समाज में रिश्ते – नाते से ही लोगो का विश्वास कम होते जा रहा है जो एक बुरे परिणाम की ओर इंगित करता है। जिला अभियोजन अधिकारी सिवनी के सबूतो एवं तर्को से सहमत होते हुए माननीय विशेष न्यायाधीश महोदय द्वारा आज दिनांक 28 नवम्बर 24 को निर्णय पारित करते हुए अरोपी को धारा 354, 354 (क) (1) (प),354 (ग), 506,509 भादवि, मे क्रमशः तीन -तीन वर्ष का सश्रम करावास एवं 100-100 रूपये अर्थदंड, व धारा 506 भादवि मे दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रूपये के अर्थदंड, धारा 66(म्), सूचना प्रौद्योगिकि( संशोधन) अधिनियम 2000, मे 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये के अर्थदंड, धारा 7, 8, 11,12 लैगिक अपराधो से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में क्रमश: तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000-2000 एवं 500-500 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।।