चंद वर्षो में महज 6000 की तनख्वाह पाने वाले कैसे हो गए करोडपति

823

सिवनी – रबी विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन के लिये किसान पंजीयन प्रक्रिया का निर्धारण कर दिया गया है। किसान आज 20 जनवरी) से आगामी 31 मार्च तक पंजीयन करा लिया गया है जिसके बाद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने किसानों से आग्रह किया है कि निर्धारित समय में पंजीयन करा लेने की बात किसी भी असुविधा होने से बचने के उददेश्य से किसानो से कही है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के लिये गेहूँ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये घोषित किया गया है। यह गत वर्ष से 150 रुपये अधिक है। लेकिन फिर भी किसान ठगी का शिकार होते जा रहे है। कही किसानो से खरीदी केन्द्रो पर प्रभारी द्वारा हमाली के नाम पर तो कही खराब माल को खपाने तो कही तौल कांटे में छेडछाड कर अधिक माल लिया जा रहा तो कही माल के सैम्पल के बहाने पाॅच – पाॅच किलो एक एक किसान से लेकर किसानो के साथ ठगी की जा रही है।
इस मामले में रविवार को क्षेत्र का एक किसान जब कातलबोडी मोहगाॅव के महेन्द्र एवं राजपूत वेयरहाउस में अपना गल्ला बेचने गया तो वेयरहाउस के धर्मकांटे में 70 किलो गेहूॅ तौल मे ंकम मिलने पर उसके द्वारा जब जवाब धर्मकांटा वाले से मांगा गया जिसके बाद अपनी उपज बेचने आये अन्य किसान भी मौके पर इकटठे हो गए जिसके बाद धर्मकांटा वाले ने किसान को शराब पीकर आने की बात कहकर उसका मुॅह बंद कराने की कोशिश की लेकिन बाद में जब बात नही बनी तब खरीदी केन्द्र के धर्मकाटे वाले को लेकर जब कृषक दूसरे धर्मकांटे में अपना टेªक्टर जो गेहू से भरा था उसे लेकर गए जहां 70 किलो गेहूॅ अधिक पाया गया जिसके बाद शिकायत होने पर विभाग के अलावा अफसर मौके पर पहुॅचे और किसानो की शिकायत सही पाये जाने पर राजपूत वेयरहाउस के धर्मकांटे को सील किया गया। जिसके बाद मौके पर सिवनी विधायक दिनेश राय भी पहुॅचे जिन्होने किसानो से सैम्पल अधिक लिये जाने और किसानो का अनाज अधिक मात्रा में ना लेने की हिदायत खरीदी केन्द्र प्रभारी को दी।

एक दिन में लगभग 150 किसानो का अनाज खरीदा जाता है
यदि एक दिन में 150 किसानो से गल्ला खरीदा जाता है और एक किसान से 70 किलो अनाज अधिक लिया जाता है तो 150 किसानो से 105 क्विंटल अनाज अधिक लिया जा रहा था यह एक दिन का हिसाब है तो वही 20 दिनो की माने तो 2100 क्विंटल के अलावा जो प्रत्येक किसान से सैम्पल के नाम पर जो 5 किलो अनाज अधिक लिया जा रहा था वह भी प्रतिदिन 750 क्विंटल रोज तो 20 दिनो में लगभग 150 क्विंटल का घोटाला वेयरहाउस और खरीदी प्रभारी के द्वारा किये जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।


किसानो ने हुए नुकसान की भरपाई की बात कही
किसानो ने खरीदी प्रभारी और वेयरहाउस संचालक के उपर किसानो से खरीदी से अधिक लिये गए अनाज की भरपाई किये जाने की मांग की है।
तौल के नाम पर प्रत्येेक किसान से लिया जा रहा था 50 रूपया
किसानो ने बताया कि कातलबोडी मोहगाॅव के महेन्द्र वेयर हाउस एवं राजपूत वेयरहाउस में प्रत्येक किसान से 50 रूपये धर्मकांटे में तौल के लिये जाते थे ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें भी प्रतिदिन साढे सात हजार रूपये रोज की अतिरिक्त कमाई की जा रही थी तो वही 20 दिनो की धर्मकांटे की कमाई की अनुमान लगाये तो डेढ लाख रूपये किसानो से उगाही की जा चुकी है।


कही – कही तो हमाली के नाम पर भी लिये जाते है पैसे
कही – कही तो कृषको से हमाली के नाम पर भी उगाही की जाती है जिसमें लाखो करोडो रूपयो के घोटाले की आंशका जताई जा रही है।
सुविधाओ के नाम पर शून्य
यदि खरीदी केन्द्रो की कृषको को दी जाने वाली सुविधा की बात करें तो उन्हे कुछ भी सुविधा प्रदान नही की जाती है जिसका फंड विभाग द्वारा खरीदी प्रभारी को दिया जाता है जिसका गमन कभी अनेक खरीदी केन्द्रो में किया गया है।
जितने भी खरीदी प्रभारी है उनकी सम्पत्ति की ईओडब्लू सीबीआइ्र्र और सीआईडी से हो जाॅच
जिले मेें जितने भी खरीदी प्रभारी है या उपार्जन केन्द्र में खरीदी का कार्य देखते है उनकी संपत्ति की जाॅच ईओडब्लू सीबीआई और सीआईडी से की जानी चाहिए जिससे इनके द्वारा विगत अनेक वर्षो से किये गए भ्रष्टाचार की काली कमाई से इनके द्वारा किस – किस के नाम कहां – कहां अचल संपत्ति क्रय की गइ्र है किस – किस नाते रिश्तेदार के नाम खरीदी गई है इनके पास जेवरात कितने है सारी चीजो की जाॅच हो।
6000 की पगार पाने वालो के है करोडो के आलिशान बंगले
आप अंदाजा लगाइये आज के समय में 20 हजार महिने की तनख्वाह पाने वाला बमुश्किल अपना घर जैसे – तैसे कर चला पाता है तो वही सहकारी समीति में कार्य करने वाले अदने से कर्मचारी के पास भी करोडो के बंगले और मंहगी – महंगी लक्झरी कार आपको देखने मिल ही जायेगी आखिर जहां जितनी तनख्वाह में एक व्यक्ति का गुजारा नही हो सकता उस व्यक्ति के पास इतनी सम्पत्ति आखिर आई तो आई कहां से।
माॅनीटरिंग अधिकारी आखिर क्या करते है
सहकारी सोसायटियो मेें हो रहे भ्रष्टाचार के मामले में जिनके हाथो में जिम्मेदारी होती है आखिर वे सरकार से किस बात की तनख्वाह लेते है यदि बारीकी से इनकी भी जाॅच की जाए तो कई बडे मगरमच्छो के नाम उजागर हो सकते है।