पश्चिमी देशों में धर्म के नाम पर भीषण अत्याचार हो रहे थे तब अहिल्या बाई ने लोककल्याणकारी धर्मराज्य की स्थापना की – स्वाती गोडबोले
पुण्यश£ोका देवी अहिल्या बाई होल्कर जन्मशताब्दी पर पी जी कालेज में कार्यक्रम संपन्न

सिवनी । गत 31 मई को शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऑडिटोरियम में पुण्यश्लोक लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष समारोह पर उनके व्यक्तित्व एवं प्ररेणादायी कृतित्व पर आधारित लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर जन्मशताब्दी समारोह समिति के तत्वाधान में मनायी गयी । कार्यक्रम के प्रारंभ में भारत माता एवं देवी अहिल्याबाई के छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर पुष्प अर्पित किये । इस गरिमा कार्यक्रम में स्वाती गोड़बोले जी पूर्व महापौर जबलपुर का मुख्य आतिथ्य रहा और कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघ चालक सुरेन्द्र सिसोदिया जी द्वारा की गयी जबकि कार्यक्रम में श्रीमती निर्मला नायक अधिवक्ता उच्च न्यायालय एवं राज योग शिक्षिका ब्रम्हकुमारी गीता दीदी ने कार्यक्रम में विशिष्ट आतिथ्य प्रदान किया ।

पश्चिमी विद्वानों ने भारत के संबंध में दुष्प्रचार करते हुए कहा कि “हिन्दु शासन व्यवस्था अराजक थी
संघ मित्रा बिजोरिया जी ने अतिथि परिचय कराया एवं स्वागत के पश्चात जन्मशताब्दी समारोह की संयोजिका श्रीमती रूकमणी सनोडिया ने वर्ष भर चले कार्यक्रमो का वृत्त प्रस्तुत किया । इसके पश्चात कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती स्वाती गोडबोले ने अपने संबोधन में लोकमाता देवी अहिल्याबाई के संपूर्ण जीवन को प्रेरणादायी बताते हुये कहा कि पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई होल्कर 31 मई 1725 को अहमदनगर (अहिल्या नगर) के नाम से प्रसिद्ध जनपद के चौंडी गांव में जन्मी थी। यह वर्ष उनके जन्म का त्रिशताब्दी वर्ष है । उनके सुशासन, लोक कल्याणकारी नीतियों एवं आसेतु हिमाचल सांस्कृतिक उत्थान के कार्यो को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उनका 300 वाँ जयंती वर्ष संपूर्ण देश मना रहा है। श्रीमती गोड़बोले ने कहा कि पश्चिमी विद्वानों ने भारत के संबंध में दुष्प्रचार करते हुए कहा कि “हिन्दु शासन व्यवस्था अराजक थी” , जेम्स मिल ने लिखा था कि “भारत नैतिक रूप से खोखला और स्वार्थी समाज था जो शासन योग्य नहीं था”। जबकि पश्चिमी देशों में धर्म के नाम पर भीषण अत्याचार हो रहे थे । तब भारत में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने लोक कल्याणकारी धर्मराज्य की स्थापना की थी । श्रीमती गोडबोले ने कहा कि आज हिन्दुस्तान को दुनिया का श्रेष्ठ देश बनाना है तो लोकमाता देवी अहिल्या बाई की कल्याणकारी शासन व्यवस्था को अपनाना आवश्यक हो गया है ।

300 वर्ष पूर्व महारानी अहिल्याबाई होल्कर भी इन्हीं शाश्वत मूल्यों का पालन करने वाली महारानी थी ।
कार्यक्रम कीअध्यक्ष कर रहे सुरेन्द्र सिसोदिया ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई के जीवन चरित्र का विस्तृत उल्लेख करते हुये कहा कि भारत में धर्म के आधार पर चलने वाले शासन को ही आदर्श शासन माना गया है। जिसमें सभी सुखी एवं निरोगी हो । अर्थात भौतिक दृष्टि से आर्थिक समृद्ध , सभी को स्वस्थ जीवन प्रदान करने वाली नीतियाँ, परस्पर प्रेम, भय रहित वातावरण, सभी अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकें ऐसा वातावरण ही आदर्श राज्य का उदाहरण बना । ऐसा योग्य शासन प्रभु श्री राम ने दिया, इसलिए रामराज्य सभी के लिए आदर्श एवं अनुकरणीय राज्य हो गया । रामराज्य के इसी आदर्श का पालन करने का प्रयास सम्राट विक्रमादित्य, राजा भोज, सम्राट हर्षवर्धन जैसे अनेक राजाओं ने किया । विदेशी आक्रमणों के समय इन्हीं मूल्यों की रक्षा करने के लिए महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज सरीखे शासनकर्ताओं ने अपने प्राण को न्योछावर कर दिया । 300 वर्ष पूर्व महारानी अहिल्याबाई होल्कर भी इन्हीं शाश्वत मूल्यों का पालन करने वाली महारानी थी ।

जो राजा नेत्र ,मन , वाणी और कर्म इन चारों से प्रजा को प्रसन्न करता है प्रजा उसी से प्रसन्न रहती है ।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि गीता दीदी ने भी लोकमाता अहिल्या बाई की शासन व्यवस्था और उनकी नीतियों को लोककल्याणकारी निरूपित करते हुये कहा कि जो राजा नेत्र ,मन , वाणी और कर्म इन चारों से प्रजा को प्रसन्न करता है प्रजा उसी से प्रसन्न रहती है । इन्ही गुणों के कारण महारानी अहिल्याबाई होलकर को “पुण्यश्लोक” उपाधि से विभूषित किया गया ।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे और आडिटोरिम खचाखच भरा रहा है कार्यक्रम में सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, स्वयंसेवी संस्थाओं के महिला पुरूषों की उपस्थिती रही कार्यक्रम के अंत में बद्री सनोडिया द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया एवं वंदेमातरम के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया ।







