पाॅच हजार के ईनाम फरार सिवनी पुलिस के प्रधान आरक्षक योगेश राजपूत की जामनत हुई रदद

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सिवनी – कोतवाली बालाघाट के मालखान में रखे 55 लाख रूपये नगद एवं 14 लाख रूपये अमानत में खयानत मामले में मालखाने के प्रधान आरक्षक द्वारा उक्त रकम जुॅए में हार जाने की बात जब प्रकाश में आई तो बालाधाट पुलिस हरकत में आई और प्रधान आरक्षक से जब पूछताछ की गई तो पता चला वह तो सिवनी आकर जुॅआ खेला करता था जिसमें बालाघाट के प्रधान आरक्षक द्वारा वह रकम सिवनी आकर जुॅए में हार गया जिसके बाद बालाघाट पुलिस ने मालखाने के प्रधान आरक्षक के बयान के मुताबिक सिवनी के भैरोंगज निवासी विवेक श्रीवास्तव उर्फ गोलू लाला को जब धर दबोचा तो उसके मोबाईल से कई सारे ऐसे खुलासे हुए जो बेहद ही चैकाने वाले थे जिसमें एक सिवनी पुलिस का प्रधान आरक्षक योगेश राजपूत पर भी आरोप है कि जुॅआरियो से उसके साथ मधुर संबंध थे जिसमें जुॅए फड के सरगना इन लोगो का पूरा ख्याल रखा करते थे।
इसी बात को लेकर जब बालाघाट पुलिस पूछताछ के लिए गत दिनो सिवनी पुलिस के प्रधान आरक्षक योगेश राजपूत के घर पहुॅची तो योगेश राजपूत ने कोतवाली पुलिस के सामने बालाघाट पुलिस के साथ उनसे नोटिस लेने और उनकी जाॅच में सहयोग करने के बजाय उनके साथ अभद्रता करते नजर आए जिसके बाद दूसरे दिन से योगेश राजपूत अपने घर पर एक पत्र छोडकर फरार हो गए जिसके बाद बालाघाट पुलिस ने योगेश राजपूत और अन्य लगभग 15 लोगो के खिलाफ शासकीय कार्य में बाघा डालने के आरोप में मामला दर्ज किया जिसके बाद जिसके बाद बालाघाट पुलिस ने योगेश राजपूत पर 5 हजार का ईनाम घोषित किया जिसके बाद अचानक योगेश राजपूत प्रकट हो गए और सिवनी कोर्ट में अग्रीम जमानत की अर्जी लगाई जिसमें विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम गौतम सिंह मरकाम ने सिवनी के प्रधान आरक्षक योगेश राजपूत को अग्रिम जमानत आवेदन क्रमांक 446/2025 पर 6 नवम्बर को सुनवाई हुई। विशेष लोक अभियोजक कपिल डहेरिया ने योगेश को जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए आवेदन निरस्त करने का निवेदन किया। विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित अपराध गंभीर प्रकृति का है। प्रकरण में आवेदक सहित अन्य आरोपीगण फरार है। प्रकरण अभी प्रारंभिक अवस्था में है। यदि आवेदक को को जमानत का लाभ दिया जाता है तो उसके द्वारा साक्ष्य को प्रभावित किए जोन की संभावना से इंकार नही किया जा सकता । प्रथम दृष्टया अपराध की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अग्रिम जमानत आवेदन स्वीकार किए जाने योग्य न होने से अस्वीकार कर निरस्त किया जाता है। इसके अलावा विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार अधिनियम द्वारा निरस्त किए गए जमानत आवेदन के आदेश में यह भी उल्लेख है कि आवेदक द्वारा सह आरोपीगण से मिलकर मालखाना की शासकीय सम्पत्ति का आपराधिक दुर्विनियोग किया जाना प्रथम दृष्टया दर्शित हो रहा है। आवेदक द्वारा विवेचना में सहयोग न कर पुलिस बल के साथ असहयोग किए जाने के संबंध में सिवनी में अपराध क्रमांक 889/2025 धारा 121 1131,221,296,324 4 351 3 और 191 2 बीएनएस के तहत भी अपराध पंजबद्ध किया गया है। जिससे प्रथम दृष्टया यह दर्शित होता है कि आवेदक द्वारा विवेचना कार्रवाई में सहयोग नही किया जा रहा है।