मौत की खाई नुमा तालाब बनाने की तैयारी कर रहे ग्राम बिठली के सरपंच सचिव
एक ही स्थान में दोबारा तालाब बनाने का ग्राम पंचायत से दिया प्रस्ताव
सांठ-गांठ कर बालाजी मेटल्स (स्टोन क्रेशर)संचालक केशव अग्रवाल को पत्थर परिवहन करने मांगी अनुमति
सरपंच ने अपनाया तानाशाही रवैया रूकिसानों को पानी देना किया बंद
सिवनी जिला मुख्यालय से लगे बिठली ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव द्वारा मानों रूपये की लालच में आकर मौत की खाई नुमा तालाब बनानेध् गहरीकरण की तैयारी की जा रही है जिसके लिए बकायदा पंचायत से प्रस्ताव बनाकर कार्यालय कलेक्टर खनिज शाखा से आवेदन भी दिया गया है जहां उल्लेख किया गया है कि मुरम/पत्थर का परिवहन श्री बालाजी मेटल्स केशव अग्रवाल द्वारा किया जाना है का उल्लेख किया गया है बता दें कि उक्त खसरा रकबा में पहले से ग्राम पंचायत द्वारा ही तालाब निर्माण कराने के लिए पत्थरध्मुरम का निकलवाकर क्रेशर संचालक को परिवहन की अनुमति प्रदान कर दी गई थी और अब उसी स्थान पर फिर से सरपंच सचिव द्वारा अनुमति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया है जो कि संदेहास्पद है।
ग्राम पंचायत बिठली के राघादेही में सरपंच और सचिव पर गंभीर आरोप लगे हैं। ग्रामीणों ने दावा किया है कि तालाब निर्माण के नाम पर बालाजी मेटल्स के पार्टनर को लाभ पहुंचाने की साजि“श रची जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि पटवारी हल्का नंबर 107, राजस्व निरीक्षक मंडल डूंडासिवनी, तहसील एवं जिला सिवनी के खसरा नंबर 34 में स्थित 10.74 हेक्टेयर रकबे में से 1.40 हेक्टेयर शासकीय भूमि जो कि बड़े झाड़ के जंगल दर्ज है में उत्खनन की अनुमति ली जा रही है। बता दें कि शिकायत के आधार पर जिला कलेक्टर श्रीमती शीतला पटेल द्वारा जांच टीम गठित किया गया जहां बिठली के ग्राम राधादेही में जैसे ही टीम पहुंची ग्राम राघादेही में हड़कंप मच गया। बीते दिनांक 17 नवंबर 2025को मौका स्थल पर निरीक्षण करने पहुंच गठित टीम ने पाया कि जिस खसरा नंबर 34(र) पर नया तालाब बनाने के लिए आवेदन दिया गया है वह तो सरकारी रिकॉर्ड में ष्बड़ा झाड़ का जंगलष् के रूप में दर्ज है। जिससे प्रतीत होता है कि पहले से ही सरकारी जमीन पर अवैध खुदाई चल रही थी। मौका स्थल पर पहुंच जांच टीम के समझ ग्रामीण ने स्पष्ट कर दिया कि उक्त स्थान पर तालाब की कोई आवश्यकता नहीं है वहीं सरपंच सचिव द्वारा उक्त स्थान पर बालाजी मेटल्स के संचालक केशव अग्रवाल को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उक्त अनुमति चाही गई है। सरपंच ने खसरा नंबर 34 (एस) पर श्नयाश् तालाब बनाने की स्वीकृति ली है। वहाँ पहले से ही पर्याप्त गहराई पर एक तालाब मौजूद है। वहीं ग्रामीणों ने यह स्पष्ट आरोप लगाया है कि इस निर्माण का असली मकसद पत्थरों की अवैध खुदाई और उन्हें पास के बालाजी स्टोन क्रेशर संचालक केशव अग्रवाल के पार्टनर को बेचना है। यह सब सरपंच और क्रेशर संचालक की मिलीभगत से किया जा रहा है।


ग्रामीणों की आपत्ति देख बौखलाये सरपंच
जैसे ही जिला कलेक्टर द्वारा गठित टीम मौके पर जांच करने पहुंची और जांच में पत्थर माफिया के साथ मिली भगत होने की बात सामने आई इससे बौखलाये सरपंच द्वारा पहले से खाईनुमा तालाब से किसानों को पानी देने पर रोक लगा दिया गया एवं उक्त स्थान से आसपास के किसानों को पानी देना बंद कर दिया गया जिससे प्रतीत होता है कि अवैध उत्खनन के खिलाफ आवाज उठाने की सजा अब किसानों को भोगना पड़ेगा जिससे किसानों पर संकट आने की संभावना जताई जा रही है चूंकि इस समय जब किसान अपनी फसल की सिंचाई के लिए पूरी तरह से पानी पर निर्भर हैं ऐसे में पानी रोक देना मानों सरपंच द्वारा बौखलाहट में लिया गया निर्णय है अब किसानों के लिए दुखदायी हो गया है यह दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई उनकी फसल को खराब करने की धमकी दे रहे है।


सरपंच ने किसानों को पानी देने से किया इंकार
जिला कलेक्टर द्वारा गठित टीम द्वारा किये गये जांच के उपरांत सरपंच की दबंगई जारी है जिसका खामियाजा सीधे किसानों को भुगतना पड़ रहा है किसानों का सीधा आरोप है कि सरपंच किसके दम पर यह तानाशाही कर रहे है? क्या जिले के ष्सत्ता के गलियारोंष् से उसे अदृश्य समर्थन मिल रहा है, जिसके कारण वह प्रशासन की जांच के बावजूद सरेआम बदला ले रहा है? यह मामला अब स्टोन क्रेशर संचालक को लाभ पहुंचाने का नहीं, बल्कि प्रशासन की शक्ति और माफिया की संगठित ताकत के बीच सीधा टकराव बन चुका है।


पहले से मौजूद है खाईनुमा तालाब
उक्त स्थान पर पहले से ही गहरी खाई के रूप में एक तालाब मौजूद है। ग्रामीणों का कहना है किकृ
’उसी स्थान पर पुनरू उत्खनन की अनुमति मिलने से
’तालाब और अधिक खतरनाक गहराई में बदल जाएगा
’जिससे मानव एवं पशुओं के गिरने से बड़ी दुर्घटना होने की आशंका है ’बड़े झाड़ के जंगल में खाईनुमा तालाब बन सकता है खतरे का कारण।
ग्रामीणों की प्रशासन से मांग
कटघरे में आए इस पूरे मामले में ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि’खसरा 34 पर प्रस्तावित उत्खनन को तुरंत रोका जाए ’स्थल का मैदानी निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति देखी जाए ’जन और पशुधन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनुमति रद्द की जाए ’जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।