सिवनी – नगर के ब्रह्माकुमारीज आश्रम द्वारा शहर की महिलाओं के लिए ’करवा चैाथ के अवसर पर आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें महिलाओं से ज्ञानवर्धक एक्टिविटीज कराई गई। नन्ही मुन्नी बालिकाओं के द्वारा भगवान शिव पर बलिहार होने वाले गीत पर नृत्य किया गया । साथ ही करवा चैाथ व्रत के पीछे छिपे हुए आध्यात्मिक मर्म को ब्रह्माकुमारी रामेश्वरी दीदी जी के द्वारा रहस्य उद्घाटन किया गया। आपने कौन-कौन से आंतरिक श्रृंगार सजनी को साजन के लिए करना चाहिए इसका विस्तार से वर्णन किया।
ब्रह्माकुमारीज सिवनी की जिला प्रमुख ब्रम्हकुमारी ज्योति दीदी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि नारी ही अपनी त्याग, तपस्या और साधना के बल पर अपने पति की आयु लंबी और परिवार में सुख शांति का वातावरण निर्मित कर सकती है।
ब्रह्माकुमारी नीतू दीदी ने बताया कि क्या करवा चैाथ का व्रत केवल स्त्री को पति की आयु बढ़ाने के लिए करने की आवश्यकता है? क्या नारी की आयु लंबी हो इसकी आवश्यकता नहीं है? यदि है तो फिर करवा चैाथ व्रत स्त्री और पति दोनों को करना चाहिए। लेकिन हमारे समाज में स्त्री ही अपने पति की आयु लंबी हो ऐसी कामना को लेकर करवा चैाथ का व्रत करती हैं। इसके पीछे आध्यात्मिक भाव छिपा हुआ है कि आखिर महिलाएं ही करवा चैाथ का व्रत क्यों करती है।
करवा चैाथ -करवा मतलब कलश़चैाथ मतलब चैाथा युग, अर्थात जब चैाथा युग कलयुग में अत्याचार भ्रष्टाचार पापाचार की अती हो जाती है तब परमात्मा कल्की अवतार ले आत्मा सजनी को ज्ञान का कलश देकर उनके द्वारा समस्त मानव मात्र को ज्ञान अमृत पिलाकर उनके जीवन को सुख शांति भरपूर करने का कर्तव्य सौंपते हैं। और परमात्मा द्वारा दिए गए ज्ञान अमृत से आत्माये स्वयं स्नान कर, उपवास अर्थात मन ऊपर वाले के निकट वास और व्रत अर्थात बुराइयों का त्याग करने की प्रतिज्ञा करती है। तब उनका जीवन खुशनुमा बन जाता है। इस प्रकार परमात्मा साजन के लिए आत्मा ( जिसे स्त्रीलिंग माना जाता है ) अपने जीवन में बुराइयों का व्रत कर परमात्मा साजन के निकट अपने मन बुद्धि को लगती है। जिससे वह सदैव अपने को परमात्मा की छत्रछाया में सुरक्षित और सुखी अनुभव करती है । इसी यादगार में केवल स्त्री ही अपने पति के लिए यह व्रत रखती हैं।