सिवनी- रोने का मतलब विषाद, विषाद से ही गीता की शुरुआत हुई पहला अध्याय का नाम ही अर्जुन विषाद योग है उस विषाद योग दूर करने के लिए, और विषाद को प्रसाद में बदलने के लिए भगवान् ने गीता सुनाई
उक्ताशय के उदगार व्यक्त करते हुए ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप जी महाराज ने कहा कि विषाद को योग बना दिया तभी अर्जुन का विषाद भी प्रसाद बन गया, अर्थात आपके जीवन मे भी विषाद हो तो उसे योग के माध्यम से प्रसाद बनालो जीवन सुखमय हो जाएगा, जो विषाद प्रसाद में अर्थात प्रसन्नता, परमात्मा को प्राप्त करा दे वो विषाद भी योग हो जाता है बस आपको वो विषाद योग्य जगह पर प्रकट होना चाहिए। गलत जगह पर आपने विषाद प्रकट किया तो वो और ज्यादा विषाद से आपको ग्रसित होना पड़ेगा।
बांग्लादेश में हिंदू भाईयों पर हो रहे अत्याचार पर व्यथित हो ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा यह अत्यंत निंदनीय है, आये दिन समाचार में आ रहा है आज इतने हिंदुओं की हत्या कर दी गयी हिंदू महिलाओं के साथ गलत काम किया गया हिंदूओं के स्थान, मन्दिर आदि लूट लिए गये, आज ही हमें पता चला वहाँ पर किसी पुजारी के हाँथ पैर बांध दिये और उसको धारदार हथियार से मार डाला गया पिछले दो दिन में चार जगह ऐसी घटना हो गयी सोचिये ये आसुर भाव को धारण करने वाले कब तक टिकेंगे, आज अखबार पढ़ते पढ़ते हमको लगा कि कुछ करना चाहिए वहाँ तो हम आप तो उस देश में जा नहीं सकते तो क्या करें तब ये बात निकल कर आयी। वहाँ नहीं जा सकते तो यहाँ से भगवान् से प्रार्थना कर ही सकते हैं उनको सद्बुद्धि दे भगवान् वहाँ की सरकार को और दूसरा ये की वहाँ जितने लोगों के प्राण चले गए उनकी आत्मा की शान्ति के लिए कुछ करें, उपस्थित श्रद्धालुओ ने सामूहिक रूप से गीता का पाठ किया और उसका जो पुण्य है वह हमारे हिंदू भाई बहिन और जितने भी लोगों की मृत्यु हुई उन्हें मिले और उनका कल्याण हो और वहाँ की सरकार को भगवान् सद्बुद्धि दें।