ड्रीमलैंड सिंटी स्थित एसएससी महाविद्यालय में मनाई गई बनयोगी बाला साहब देशपांडेजी की जयंति

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सिवनी – जनजाति समाज का इतिहास प्रारंभिक काल से ही गौरवपूर्ण रहा है हमारे देश में एक षडयंत्र के तहत विदेशियो ने भारतीय इतिहास को तोड – मरोडकर प्रस्तुत किया इस देश के इतिहास को लिखने का काम या तो विदेशियो यो तो फिर विदेशान्मुखी मानसिकता वालो ने किया इसी बात को लेकर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम का स्थापना की गई जिसके तहत पूज्य बालासाहेब देशपांडे संस्थापक का जन्मदिवस कार्यक्रम राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के रूप में एसएससी महाविद्यालय ड्रीमलैंड सिटी सिवनी में मनाया गया इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ रामकुमार चतुर्वेदी नगर अध्यक्ष वनवासी विकास परिषद, विशिष्ट अतिथि श्रीमती वंदना आनंद महानगर समिति अध्यक्ष जबलपुर, डॉ श्याम सिंह कुमरे जनजाति सुरक्षा मंच केंद्रीय टोली सदस्य, श्रीमती पूजा रजक महानगर समिति सचिव जबलपुर, गोविंद प्रसाद रजक मध्य क्षेत्र श्रद्धा जागरण प्रमुख, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अर्जुन मरकाम प्रांत सचिव वनवासी विकास परिषद महाकौशल जबलपुर मंचासीन रहे कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम के रंगारंग प्रस्तुति दी गई विभिन्न कवियों के द्वारा कविता पाठ किया गया, इस अवसर पर संगठन के संरक्षक दुर्गा शंकर श्रीवास्तव लक्ष्मी नारायण सोन केसरिया विभाग संगठन मंत्री थान सिंह कटरे, जिला संगठन मंत्री प्रेमलाल धनकड, जिला महिला प्रमुख श्रीमती शशि वाला डेहरिया, के साथ जिला एवं नगर समिति के सभी सक्रिय कार्यकर्ता उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन अखिलेश यादव के द्वारा किया गया जिला अध्यक्ष नाथूराम धुर्वे के द्वारा किया गया इस अवसर पर वनवासी विकास परिषद द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन रखा गया जिसमें सुप्रसिद्ध कवि जगदीश तपिश के मुख्य आतिथ्य एवं रामगोपाल निर्मलकर नवीन के विशिष्ट आतिथ्य तथा वरिष्ठ कवि रमेश श्रीवास्तव चातक की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर कवयित्री अम्बिका शर्मा द्वारा सश्वर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम का कुशल संचालन संजय जैन संजू के द्वारा किया गया। सर्वप्रथम रामगोपाल निर्मलकर नवीन की इस रचना ने श्रोताओं से वाहवाही लूटी-
मूल निवासी देश की, आदिवासी समाज।
सत्य राह पर नित चलें, दुनिया करती नाज ।।

योगेश योगी की इस रचना को श्रोताओं ने खूब सराहा-
मौत के सिवा बता हकीकत क्या है।
मैं हूँ बस तेरा और गनीमत क्या है।।

नरेन्द्र नाथ चट्टान ने हास्य व्यंग्य प्रस्तुत कर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया-
शेरों से बढ़कर देखिये आज गिद्ध हो गया।
पर्यावरण को जाना नहीं परंतु पर्यावरण विद् हो गया।।

डॉ. जी.एस. चिरोंजे सारंग की वीर रस की इस कविता को श्रोताओं ने खुले दिल से दाद दी-
चिर यौवन के धनी देश के नव जवान।
चीर के सीना अपना दिखला दो भारत महान।।

मिन्हाज कुरैशी ने एक से बढ़कर एक शेर प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया-
जिसका हो गुणगान तू ही है, मेरा तो ईमान तू ही है।
तेरे आगे सब नतमस्तक सच्चा शक्तिमान तू ही है।।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रमेश श्रीवास्तव चातक की इस रचना पर श्रोताओं ने खूब तालियाँ बजायीं-

क्या खोया क्या पाया तुमने क्या हमको भी बतलाओगे।
अनुभव के खट्टे मीठे फल का क्या स्वाद हमें भी चखाओगे ।।

राजेन्द्र कुमार तिवारी प्रेम पुजारी की इस बुंदेली रचना को श्रोताओं के द्वारा बहुत पसंद किया गया-
हों कारो तै है बस इत्तई में कर दओ भेद।
का मेरो लहू भी कारो का तेरो हो गओ सफेद ।।

अम्बिका शर्मा की इस रचना को श्रोताओं ने तालियों की गर्जना के साथ सम्मान दिया-
सूरत दिखती है किरदार नहीं दिखता,
आईना झूठा है पर देखा करते हैं।

संजय जैन संजू के गीत को श्रोताओं ने खूब सराहा-
आज ठहरे हैं हम खुशबुओं की तरह,
बादल की तरह हम बिखर जायेंगे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जगदीश तपिश ने एक से बढ़कर एक गजल और शेर प्रस्तुत कर श्रोताओं को तालियाँ बजाने हेतु मजबूर किया-
काँच और हीरे में फर्क सिर्फ जौहरी जानता है।
तुम पूछ रहे हो मेरी कीमत मैं तुम्हें क्या बता दूं।

डॉ. राम कुमार चतुर्वेदी द्वारा बिखेरी हास्यं व्यंग्य की तरंगों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया-
हमने ऐसे गीत लिखे हैं अपने मन में भाव लिये।
धूप हमारे हिस्से में थी वे बंगलों में छांव लिये ।।

कार्यक्रम के अन्त में यनवासी विकास परिषद के जिलाध्यक्ष नाथूराम धुर्वे ने आमंत्रित सभी अतिथियों, कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में सर्वश्री दुर्गाशंकर श्रीवास्तव, श्याम सिंह कुमरे, अर्जुन सिंह मरकाम, वंदना आनंद, पूजा रजक, सतीश मिश्रा, नाथूराम धुर्वे, अजय कुमार चतुर्वेदी, प्रेम सिंह धनगड़ सहित वनवासी विकास परिषद के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्य तथा एस.एस.सी. एजुकेशन कॉलेज के समस्त प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।