छोटी – छोटी घटनाओ के बारे में सूचना देने वाला सूचना तंत्र आखिर कहा फेल हो गया


सिवनी – प्रदेश के सिवनी जिले के केवलारी वन परिक्षेत्र में विगत कई वर्षो से वृक्षो की कटाई अवैध रूप से वन माफियाओ के द्वारा की जा रही थी इस मामले में केवल केवलारी वनपरिक्षेत्राधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। विभाग के आदेश के मुताबिक अमित सोनी पर आरोप था कि उन्होने अपनी जिम्मेदारियो का निर्वहन ना करते हुए लापरवाही की। इतना ही नही अमित सोनी ने वन माफियाओ को संरक्षण भी दिया और बिना सरंक्षण के जंगलो से लकडियो की इतनी भारी तादाद में हो भी नही सकती है लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या इस बात की जानकारी विभाग के उच्चाधिकारियो को नही थी यह संभव ही नही कि वनो की कटाई इतनी बडी मात्रा में हो रही हो और विभाग के जिम्मेदार उच्चाधिकारियो को इस बात की जानकारी ना हो इस पूरे मामले में चैकाने वाली बात यह है कि एक महिने से ज्यादा समय व्यतीत हो जाने के बाद भी विभाग के उच्चाधिकारियो की हाथ पर हाथ रखकर चुपचाप बैठे रहना कही ना कही बडे सवाल खडे करता है आखिर एक महिने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आखिर आरोपियो की गिरफतारी तो छोडिये उनका सुराग तक लगाने में वन विभाग के जिम्मेदार उच्चाधिकारी सफल नही हुए है। यह हमारे जिले के लिए बहुत ही शर्मनाक बात है आपको बता दे आखिर वन विभाग के उच्चाधिकारियो को इतना बडा जंगल एक दिन में तो नही काटा गया होगा तो फिर इनके अधिकारी क्या अपने आफिस और घर में सोने की पगार ले रहे थे क्या, और यदि नही तो फिर वन माफिया इतना बडा जंगल कैसे साफ कर गए। इन सभी को इनके क्षेत्र में चल रहे इतने बडे वन परिक्षेत्र में वनो की अंधाधुंध कटाई जारी थी तो अधिकारियो को इस बात की जानकारी तक का ना होना कई सवाल खडे करता है। .
एक महिने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी माफियाओ का सुराग तक नही
इसके जिम्मेदार खाली केवलारी वनपरिक्षेत्राधिकारी नही और ना ही एसडीओ गुरूदेव नही उपर जिले में बैठे अधिकारी आखिर कर क्या रहे थे छोटी – छोटी घटनाओ के बारे में सूचना देने वाला सूचना तंत्र आखिर कहा फेल हो गया यह सब बडे सवाल है इसके अलावा सवाल यह भी है कि आखिर इसके पीछे किसका हाथ था जिसके कारण इस मामले में अधिकारी हाथ तक नही डाल रहे। जब वन माफिया जंगल को तबाह कर रहे थे और जिम्मेदारो को खबर तक नही क्या ये सारी बाते हमारे आपको या उच्चाधिकारियो के मन में संशय पैदा नही करते सबसे चैकने वाली बात यह है कि एक महिने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आखिर विभाग में बैठे उच्चाधिकारी और जिले में बैठे अधिकारी आखिर कर तो कर क्या रहे है इस पूरे मामले की उच्चस्तरिय जाॅच की जानी चाहिए यदि इस मामले की सूक्ष्मता से उच्चास्तरिय जाॅच की जाए तो कई बडे खुलासे होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
क्या वन विभाग का खुफिया तंत्र इतना कमजोर है
जगंलो की वर्षो से अंधाधुंध कटाई हो रही थी और परिक्षेत्राधिकारी समेत उपर बैठे अधिकारियो को इस बात की भनक तक नही यह बात किसी के गले भी नही उतरेगी क्योकि मामला कई बडे अधिकारियो से जुडा हो सकता है इसमे तो सिर्फ परिक्षेत्राधिकारी को निशाना बनाकर हटाया गया है इस मामले की तह तक जाकर यदि मामले की पूरी पडताल की जाए तो दूघ का दूध और पानी का पानी पूरी तरह साफ हो जाएगा जब छोटे – मोटे मामलो की जानकारी इन अधिकारियो को रात के अंधेरे तक में मिल जाती है तो फिर इतने बडे मामलो की जानकारी का ना होना कई बडे सवाल खडे करता है क्या अधिकारी सिर्फ आफिस में आकर बैठने और सरकार द्वारा दी जाने वाली लक्जरी गाडी में घूमने और सरकारी बंगले में सोने की पगार देता है यदि तत्कालीन जिन अधिकारियो के समय में केवलारी क्षेत्र में वनो की अंधाधुंध कटाई की गई उनकी अचल संपत्ति की जाॅच सूक्ष्मता से जाॅच की जाए जिसमें इनको महिने मे मिलने वाली सैलरी आदि को शामिल किया जाए और पता लगाया जाए कि इतने चंद वर्षो में इनके पास करोडो की संपत्ति कहां से आई तो सब पानी की तरह स्पष्ट हो जायेगा कि आखिर वनो की लकडी की अवैध कटाई में कितना धन इनके खातो में वन माफियाओ के द्वारा दी गई है।
सरकार द्वारा वनो को बचाने इनकी नियुक्ति की जाती है

आपको बता दे सरकार वनो,वन्यप्राणियो एवं वन संपदा को बचाने के एवज में वन विभाग में कर्मचारियो की नियुक्ति की जाती है जिसके बदल बाकायदा सरकार द्वारा करोडो रूपये इनकी टेªनिंग आदि में खर्च किये जाते है इसके अलावा इन्हे तमाम सुविधाये भी इसलिए दी जाती है कि इन लोगो को जो जिम्मेदारी दी गई है उसका ईमानदारी से पालन कर सके इस बात की शपथ भी इन्हे दिलाई जाती है लेकिन केवलारी क्षेत्र मे भारी मात्रा में वन माफियाओ द्वारा वनो का सफाया विभाग में बैठे उच्चाधिकारियो पर कई सवाल खडे करता है।
सीबीआई सीआईडी स्तर की जाॅच हो
इस मामले की सूक्ष्मता से सीबीआई सीआईडी लेबल की जाॅच की जाए तो कई बडे मगरमच्छ जो छोटी – छोटी मछलियो को फॅसाकर अपने आप को बचाने का प्रयास कर रहे है वे सारे बेनाकाब हो सकते है इनका असली चेहरा सामने आ जायेगा। कि क्या उनकी जिम्मेदारी नही बनती और जब जंगलो में पेडो की अंधाधुंध कटाई अवैध रूप से चल रही थी तो इन्हे इस बात की जानकारी क्यो नही थी और नही थी तो इन्होने वहा जाकर वहा के जंगलो की सुध क्यो नही ली। आखिर अधिकारियो के उपर किसका दबाव था आखिर अधिकारी चुप क्यो थे।
जब मीडिया ने उठाया सवाल तब जागा प्रशासन
जब जंगलो की अंधाधुंध कटाई के मामले में मीडिया ने जान हथेली पर रखकर अवाज उठाई तब जाकर वन विभाग के उच्चाधिकारी जागे और कार्रवाई के नाम पर वनपरिक्षेत्राधिकारी को निशाना बनाया। पिक्चर अभी खतम नही होती ये तो टेªलर है पिक्चर अभी बाकी है। इस मामले का सही विलेन कौन है इसमे और किस किस का हाथ है इस मामले की सूक्ष्मता से जाॅच की जाए तभी सब कुछ स्पष्ट हो पायेगा।