सिवनी – आदमी यदि भगवान के बाद किसी पर विश्वास करता है तो सिर्फ चिकित्सको पर लेकिन जब चिकित्सक ही बेईमान और स्वार्थी हो जाये तो फिर आदमी किस पर विश्वास करें ऐसा ही कुछ मामला जिला चिकित्सालय में शुक्रवार 29 मार्च 2025 को प्रकाश में आया जब जब एक गरीब घर की महिला को गर्भवती होने पर मुख्यालय स्थित इंदिरा गाॅधी जिला चिकित्सालय में डिलेवरी एवं उपचारार्थ भर्ती कराया गया लेकिन डिलेवरी के बाद जैसे ही प्रसूता की तबियत बिगडी उसे चार घंटे तक अस्पताल में ही रोक कर रखा गया जिसका बहाना यह बनाया गया कि 108 एम्बुलेंस अभी आ रही है ऐसा करते – करते चार घंटे बिता दिये गए जब प्रसूता के परिजनो को लगा कि देर हो रही है प्राईवेट एम्बुलेंस से ही प्रसूता को नागपुर लेकर चले जाते है तो चिकित्सक एवं स्टाफ द्वारा उन्हे निजी एम्बुलेस से नागपुर मेडिकल लेकर जाने से रोका गया और कहा गया कि यह केस सीरियस है जिसे प्राईवेट एम्बुलेंस से नागपुर मेडिकल लेकर जाने की अनुमति नही दे सकते जब तक सरकारी एम्बुलेंस आती तब तक देर हो चुकी थी जिसके बाद जैसे तैसे कर नागपुर लेकर जब जाने लगे और मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर नागपुर रोड गोपालगंज स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसूता को चैक कराया गया जहां चिकित्सको ने उसे मृत घोषित कर दिया।
आपको बता दें इंदिरा गाॅधी जिला चिकित्सालय लापरवाही के लिए आजकल जाना जाने लगा है यहा चिकित्सको का ईमान सिर्फ पैसा है जो इन्हे पैसा देता है उस मरीज की खातिरदारी के साथ ईलाज भी अच्छे ढंग से होता है इसके अलावा बाकी का तो भगवान ही मालिक है।

आपको बता दें मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर मंडला रोड पर भोमा के पास कटिया ग्राम की रहने वाली श्रीमति रेणुका पति ओमप्रकाश मेश्राम उम्र 26 साल निवासी कटिया भोमा जिसे 27 मार्च 2025 को 10 बजे रात जिला चिकित्सालय में डिलेवरी एवं उपचार के लिए भर्ती कराया गया जिसके बाद दूसरे दिन 28 मार्च 2025 को 12 बजे दिन में उसकी डिलेवरी महिला चिकित्सक ज्योति झारिया द्वारा सीजर किया गया जिसमें एक बालक जन्म हुआ जहां जच्चा बच्चा दोनो स्वस्थ्य थे लेकिन अचानक शाम सात बजे प्रसूता के हाथ पैर ठंडे पड गये जिसके बाद परिजनो को चिकित्सको ने प्रसूता को नागपुर मेडिकल रिफर कर दिया लेकिन प्रसूता को रात 10 बजे सरकारी एम्बुलें मिली तब तक देर हो चुकी थी जिसे नागपुर लेकर जाते समय जैसे ही मुख्यालय से नागपुर रोड पर 20 किलोमीटर दूर उपस्वाथ्य केन्द्र गोपालगंज में चैक कराया गया जहां चिकित्सको ने उसे मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद 29 मार्च 2025 को शव का चिकित्सको परीक्षण कर परिजनो को सौप दिया परिजनो ने मामले की एफआईआर दर्ज करवाई है।

चिकित्सको की लापरवाही आई सामने
मृतक महिला के परिजनो ने चिकित्सको पर आरोप लगाया कि प्रसूता की मौत महिला चिकित्सक एवं स्टाफ की लापरवाही से हुई यदि समय पर एम्बुलेंस मिल जाती तो शायद मृतका की जान बचाई जा सकती थी लेकिन सरकारी आपातकालीन एम्बुलेंस समय पर ना मिलने के कारण प्रसूता की जान चली गई।
घर में फीस सरकारी अस्पताल में ईलाज
सूत्रो की माने तो सरकारी अस्पताल में नौकरी करने वाले चिकित्सक अपने निजी क्लिनिक में समय देते है जहां मरीजो से अच्छी खासी फीस वसूलते है जिसके बाद जब उपचार की बारी आती है तो अपने निजी क्लिनिक मे आने वाले मरीज का अलग कोडवर्ड होता है जिसके तहत सरकारी अस्पताल में उसका उपचार किया जाता है जिसकी फीस चिकित्सक अपने निजी क्लिनिक में ही वसूल लेते है तो वही अन्य मरीजो के साथ अमनावीय व्यवहार इन चिकित्सको का बताया जाता है।
पूर्व में भी ऐेसे कई मामले हो चुके है उजागर
पूर्व में एक बालाघाट जिले के पत्रकार का जब स्वास्थ्य बिगडा तो उसने बस स्टैण्ड स्थित एक इंदिरा गाॅंधी चिकित्सलय में पदस्थ चिकित्सक के निजी क्लिनिक में फीस जमा करवा कर उन्हे एक कोड देकर जिला अस्पताल भिजवाया गया जहां मरीज ने सरकारी अस्पताल में चिकित्सक को कोड बताया तब उसका ईलाज किया गया जिसका मामला भी खूब सुर्खियो में रहा। कुछ ऐसे ही अनेको मामले पूर्व में प्रकाश में आये जहां महिला चिकित्सको द्वारा अपने निजी क्लिनिको में फीस वसूली जाती है जिसके बाद जब डिलेवरी की बारी आती है तो उसका इ्र्रलाज सरकारी खर्चे पर किया जाता है।
मामले की उच्चस्तरिय जाॅच कर दोषियो के खिलाफ कार्रवाई की उठी मांग
पीडितो ने बताया प्रसूता की मौत हो जाने के बाद उसका दुधमुॅहे बच्चे को लेकर परिजन बाहर खुले में घंटो बैठे रहे जिसकी सुध किसी ने नही ली मीडिया वालो को इस बात की भनक लगी और जब मामले की आवाज उठी तब जाकर अस्पताल प्रबंधन जागा और बच्चे को भर्ती कराया गया।
आखिर गरीबो के साथ ही ऐसा क्यो होता है
परिजनो का कहना है कि आखिर गरीबो के साथ ही ऐसा क्यो होता है यदि विधायक सांसद या किसी नेता के परिवार का मामला होता या पैसो वालो के घर का किसी दंबग परिवार का मामला होता तो क्या उस परिवार के व्यक्ति के साथ भी ऐसा ही व्यवहार होता क्या सवाल तो बहुत है लेकिन आपको कई सारे ऐसे जिला चिकित्सालय के राज है जो आपको हम अगले अंक मे बतायेंगे।
क्या कहते हे सिविल सर्जन विनोद नावकर
इस मामले में विनोद नावकर का कहना है कि कल मै खुद आया था लेकिन जिला चिकित्सालय में ईमरजैंसी एम्बुलेंस ना होने के कारण अनेको परेशानियाॅ आती है कल भी 108 ईमरजैंसी एम्बुलेंस ना होने के कारण प्रसूता महिला को नागपुर ले जाने में चार घंटे की देरी हुई जब उनसे पूछा गया कि इस मामले में दोषी कौन है तो उन्होने बताया कि इस बारे में हम अनेको बार लिख चुके है कि जिला चिकित्सालय में दो आपातकालीन एम्बुलैंस की जरूरत है लेकिन अभी तक मांग पूरी नही हुई है। इस बारे में अधिक जानकारी सीएचएमओ साहब दे पायेंगे।







