लेखापाल की दबंगई, पत्रकारों को धमकाया
सिवनी। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाइयाॅं की जा रही है फिर भी भ्रष्टाचार करने वाले बाज नही आ रहे है अब सरकार को चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून में परिवर्तन कर भ्रष्टाचार करने वालो पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए तभी इस पर लगाम लगाई जा सकती है ऐसा ही कुछ लखनादौन जनपद पंचायत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसती जा रही है! एक जागरूक नागरिक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को एक विस्फोटक पत्र लिखकर तत्कालीन पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी (ब्म्व्), लेखापाल अधिकारी संजय तिवारी और विकासखंड समन्वयक प्रधानमंत्री आवास आशुतोष दुबे पर संगठित होकर एक करोड़, दस लाख इक्कीस हजार, दो सौ सत्तर रुपये से अधिक की सरकारी रकम लूटने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। इस महाघोटाले का पर्दाफाश होने के बाद लेखापाल संजय तिवारी की दबंगई खुलकर सामने आ गई है, जो इस खबर को उजागर कर रहे पत्रकारों को खुलेआम धमका रहा है।


नियमो कानूनो को दरकिनार कर जनता की खून पसीने की कमाई का नंगा नाच
शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में अत्यंत कठोर शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि इन भ्रष्ट अधिकारियों की तिकड़ी ने आपराधिक साजिश रचकर कार्यालय में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों और कागजों पर मौजूद फर्जी संस्थानों/व्यापारियों के नाम पर बिना कोई सामग्री खरीदे या किराए पर लिए पंचायत राज अधिनियम के नियमों को कुचलते हुए जनता की खून पसीने की कमाई का नंगा नाच हो रहा है जिसमें विशाल घोटाला अंजाम दिया है।


एक ही बिल को बार – बार दर्शाकर दिया भ्रष्टाचार को अंजाम
आरोप यह भी है कि इन लुटेरों ने मिलीभगत कर बिना जीएसटी/टिन नंबर वाले और दूसरे जिलों के संदिग्ध व्यापारियों को बार-बार मोटी रकम का भुगतान किया। सरकारी पोर्टल पंचायत दर्पण पर एक ही बिल नंबर को बार-बार दर्शाकर अलग-अलग तारीखों में भुगतान दिखाकर सरकारी खजाने को जमकर लूटा गया और आपस में बंदरबांट किया गया।


न्यायालीन खर्च के नाम पर खर्च किये लाखो रूपये
इस भ्रष्टाचार के केंद्र में सहायक ग्रेड 3 का कर्मचारी संजय तिवारी है, जिसने वर्तमान में सहायक लेखापाल अधिकारी का पद भी हथिया लिया है, और प्रधानमंत्री आवास योजना का विकास खंड समन्वयक आशुतोष दुबे है। नागरिक के अनुसार, तिवारी ने अकेले ही न्यायालयीन खर्च के नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 15,44,055 रुपये हड़प लिए, जबकि दुबे ने कार्यालयीन व्यय के नाम पर अपने निजी खाते में 14,44,600 रुपये डलवा लिए। इन दो सरकारी कर्मचारियों के निजी खातों में कुल 29,88,655 रुपये का अवैध हस्तांतरण इस महाघोटाले का जीता-जागता सबूत है।


शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार के प्रमाण सौपे सीएम को
शिकायतकर्ता ने इस संगठित भ्रष्टाचार के प्रमाण के तौर पर बिल/वाउचर क्रमांक, बिल जारी करने की तारीख, भुगतान की तारीख और इन भ्रष्ट कर्मचारियों को किए गए भुगतान की पूरी सूची मुख्यमंत्री को सौंपी है। इस घिनौने कृत्य के उजागर होने के बाद लखनादौन जनपद पंचायत में हड़कंप मच गया है और आम जनता में इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ प्रचंड आक्रोश व्याप्त है। लोग इस मामले की तत्काल निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच की पुरजोर मांग कर रहे हैं।


मामला उजागर होने के बाद भ्रष्टाचार का आरोपी बौखलाया
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले की खबर सामने आने के बाद आरोपी लेखापाल संजय तिवारी बौखला गया है और सच्चाई उजागर कर रहे पत्रकारों को खुलेआम धमका रहा है। उसकी इस गुंडागर्दी ने पूरे मामले को और भी संदेहास्पद बना दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मुख्यमंत्री इस गंभीर शिकायत और पत्रकारों को धमकाने वाले इस गुंडे पर क्या कड़ी कार्रवाई करते हैं और क्या इस महाघोटाले के सरगनाओं को सलाखों के पीछे धकेला जाता है।
भ्रष्टाचार की काली कमाई से भ्रष्टाचारी संजय तिवारी जी रहा लक्जरी जिंदगी
स्थानीय लोगों का आरोप है कि संजय तिवारी इस भ्रष्टाचार की काली कमाई से आलीशान जिंदगी जी रहा है और करोड़ों रुपये का निजी आवास खड़ा कर लिया है। नागरिकों की मांग है कि आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) तत्काल इसकी अवैध संपत्ति की जांच करे और जब्त करे। चैंकाने वाली बात यह है कि जिला कलेक्टर कार्यालय भी इस मामले की जांच में जानबूझकर देरी कर रहा है, जो इन भ्रष्टाचारियों को बचाने की साजिश की ओर इशारा करता है। आखिर किस अधिकार से इन अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को जांच के लिए इतना लंबा समय दिया जा रहा है? यह विलंबित जांच भी अपने आप में एक गंभीर अपराध है।