आखिर उच्चाधिकारी और जनप्रतिनिधि क्यो है मौन
लखनादौन – सिवनी जिले में कई सारे ऐसे विभाग है जहां मलाईदार जगहो पर वर्षो से एक ही जगह पर कर्मचारी जमे हुए है कई ऐसे अधिकारी है जिनकी नियुक्ति यही पर हुई और स्थानांतरण भी हुआ तो नाममात्र के लिए अगल – बगल कही हो गया जिसके बाद देखा जाय तो आज भी कई सारे ऐसे विभाग है जहां कई ऐसे भ्रष्ट बाबू और अधिकारी है जो आज भी उसी कुर्सी पर जमे हुए उन्हे कोई हिला भी नही पा रहा है लेकिन इस ओर ना तो जनप्रतिनिधियो का ध्यान जाता है और ना ही उच्चाधिकारियो का जिससे साफ तौर पर साबित होता है कि जिनकी ना तो ऐसे अधिकारियो और बाबूओ के खिलाफ ना तो आवाज निकलती है ओर ना ही कलम ही चलती है इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि इन तक बंद अटैची पहुॅच जाती होगी तभी ये जनप्रतिनिधि और अधिकारी इनके खिलाफ कारवाई करने मे अक्षम रहते है। ऐसा ही मामला लखनादौन जनपद पंचायत इन दिनों भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों और एक ही स्थान पर वर्षों से जमे कर्मचारियों को लेकर सुर्खियों में है। लेखापाल संजय तिवारी, जो कथित तौर पर पिछले 35 वर्षों से इसी जनपद में पदस्थ हैं, सवालों के घेरे में हैं। आश्चर्य की बात यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस स्थिति की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे भ्रष्टाचार को संरक्षण मिलने की आशंका जताई जा रही है।


लेखापाल को सामान्यतः तीन से चार वर्ष ही एक जनपद में रहना चाहिए
शासन के नियमों के अनुसार, एक लेखापाल को सामान्यतः तीन से चार वर्ष ही एक जनपद में रहना चाहिए, लेकिन संजय तिवारी तीन दशकों से लखनादौन में जमे हुए हैं।


क्या कमीशनखोरी के चलते उन्हें उच्चाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है?
सूत्रों की मानें तो वे अक्सर अपने कार्य से नदारद रहते हैं, फिर भी प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करना उनके हौसले बुलंद कर रहा है। अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते संजय तिवारी जैसे कर्मचारियों पर लगाम कसना मुश्किल हो रहा है, और सवाल उठ रहा है कि क्या कमीशनखोरी के चलते उन्हें उच्चाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है?


संजय तिवारी पर शासकीय राशि के दुरुपयोग के भी गंभीर आरोप लगे हैं।
संजय तिवारी पर शासकीय राशि के दुरुपयोग के भी गंभीर आरोप लगे हैं। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, उनके नाम से न्यायालयीन व्यय के नाम पर 15 लाख 44 हजार 55 रुपए और आशुतोष दुबे के नाम से राज मिस्त्रियों के प्रशिक्षण के नाम पर 14 लाख 44 हजार 600 रुपए की राशि आहरित की गई है। इसके अतिरिक्त, निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना रायसेन की एक फर्म, जय अंबे एसोसिएट को हाई मास्क के नाम पर 8 लाख 49 हजार 725 रुपए का भुगतान किया गया। आरोप है कि पंचायत राज अधिनियम के नियमों का उल्लंघन कर अलग-अलग समय पर विभिन्न नामों से कुल 1 करोड़ 10 लाख 21 हजार 277 रुपए का संदिग्ध भुगतान किया गया है, जो शासकीय राशि का बंदरबांट दर्शाता है।


जिला पंचायत के सीईओ नवजीवन पवार की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
इस पूरे मामले पर सिवनी जिला पंचायत के सीईओ नवजीवन पवार की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। अपनी तेजतर्रार और ईमानदार छवि के बावजूद, लखनादौन जनपद में हो रहे कथित भ्रष्टाचार पर उनकी निष्क्रियता समझ से परे है। सवाल यह उठता है कि क्या उन्हें इस अनियमितता की जानकारी नहीं है, या फिर किसी विशेष कारण से वे इस पर कार्रवाई करने में हिचकिचा रहे हैं?
संजय तिवारी ने कथित तौर पर क्षेत्र के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले पत्रकारों को खुली चुनौती दी
इस बीच, संजय तिवारी ने कथित तौर पर क्षेत्र के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले पत्रकारों को खुली चुनौती दी है। हमारे संवाददाता की आवाज दबाने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया गया है कि पत्रकार लोकतंत्र का चैथा स्तंभ हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे। सिवनी जिले में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ रही हैं, और प्रशासन से इस पर ध्यान देने की अपील की गई है।
पत्रकारों द्वारा आवाज उठाने के बाद भ्रष्ट्राचार के इन आरोपों पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है,
अब देखना यह होगा कि पत्रकारों द्वारा आवाज उठाने के बाद भ्रष्ट्राचार के इन आरोपों पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। जिले के जागरूक नागरिक और पत्रकार संजय तिवारी जैसे कर्मचारियों पर तत्काल और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।