क्या वनों के संरक्षण पर संकट के बादल?
सिवनी ( कान्हीवाडा ) – दक्षिण सामान्य वन मंडल के अंतर्गत आने वाले करीब 50 वर्षों से संचालित कान्हीवाड़ा परिक्षेत्र कार्यालय को बंद किए जाने की अटकलें इन दिनों परिक्षेत्र में चिंता का विषय बन गई हैं। विभागीय सूत्रों से मिली अभी तक अपुष्ट लेकिन गंभीर जानकारी के अनुसार, वन संरक्षक सिवनी द्वारा इस पुराने कार्यालय को हटाने की तैयारी अंतिम चरण में है और शीघ्र ही इसका आदेश जारी किया जा सकता है।
यह परिक्षेत्र कार्यालय कान्हीवाड़ा और उसके आसपास के लगभग 25 किलोमीटर के वन क्षेत्र की निगरानी, सुरक्षा, और रखरखाव का केंद्र बिंदु रहा है। यदि यह कार्यालय बंद होता है, तो क्षेत्रीय वन संरक्षण व्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।
क्षेत्रीय कार्यालय को हटाना वन माफियाओं के लिए वरदान साबित होगा
वन विभाग पहले से ही वनों की अवैध कटाई और तस्करी के मामलों में सवालों के घेरे में रहा है। ऐसे में इस क्षेत्रीय कार्यालय को हटाना वन माफियाओं के लिए एक वरदान साबित हो सकता है, जिन पर लंबे समय से लकड़ी की तस्करी और अवैध कब्जों के आरोप लगते रहे हैं। यह कदम कहीं न कहीं जंगलों के मौजूदा संरक्षण तंत्र को और भी कमजोर कर सकता है।
जनता और जनप्रतिनिधि आए सामने
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों में इस संभावित फैसले को लेकर नाराजगी और चिंता है। क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे सामने आकर इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखें और सरकार व वन विभाग से जवाब मांगें। इतने बड़े भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाली आम जनता को वन संबंधी कार्यों के लिए दूर-दराज भटकना पड़ेगा, जो न केवल असुविधाजनक होगा, बल्कि प्रशासनिक बोझ भी बढ़ाएगा।
जंगलों और पर्यावरण संरक्षण के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जाएगा
वन विभाग की ओर से इस विषय पर आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन यदि ऐसा निर्णय लिया जाता है, तो यह केवल एक प्रशासनिक फेरबदल नहीं, बल्कि जंगलों और पर्यावरण संरक्षण के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जाएगा। क्षेत्र के जागरूक नागरिकों और संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज उठाने के संकेत दिए हैं।
सार्थक पहल की आवश्यकता
यह समय है जब स्थानीय जनप्रतिनिधि, पर्यावरणविद्, और सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर इस संभावित फैसले के प्रभावों पर विचार करें और जरूरत पड़ने पर उच्च स्तर पर इसका विरोध दर्ज कराएं ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जंगल सुरक्षित रह सकें।