’तहसीलदार ने विद्यालय का किया औचक निरीक्षण, 14 शिक्षकों का एक दिन का वेतन कटा’
प्राचार्य दिलीप श्रीवास्तव की हिटलरशाही उजागर’
सिवनी – गैर न्यायिक तहसीलदार डी.एल. परते ने बीते दिनों शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कहानी का निरीक्षण किया निरीक्षण के दौरान सुबह 10.30 बजे शाला प्रारंभ होने के बाद भी लगभग 11.20 बजे तक 14 शिक्षक नियमित एवं अतिथि अनुपस्थित पाए गए। यह गंभीर लापरवाही शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर बडा सवाल खड़ा करती है। तहसीलदार द्वारा निरीक्षण रिपोर्ट अनुविभागीय दंडाधिकारी विशन सिंह को सौंपी गई, जिनके निर्देश पर घंसौर विकासखंड शिक्षा अधिकारी प्रसेन दीक्षित ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी अनुपस्थित शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटा और उनके विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी किया।
स्कूलो के औचक निरीक्षण से मचा हडकंप
इस घटना से शिक्षकों में हड़कंप मच गया है और पूरे क्षेत्र में शिक्षा के प्रति प्रशासन की सक्रियता की चर्चा हो रही है। आमजन इस औचक निरीक्षण को जरूरी और सराहनीय कदम मान रहे हैं, क्योंकि इससे विद्यालयों में अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा मिलेगा।
आखिर जिम्मेदारी से क्यो मुॅह मोड लेते है शिक्षक

इस पूरे मामले में विद्यालय के प्राचार्य दिलीप श्रीवास्तव की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। बताया जा रहा है कि श्रीवास्तव रोजाना लखनादौन से डेली अपडाउन करते हैं और अधिकांश समय विद्यालय से अनुपस्थित रहते हैं। औचक निरीक्षण की सूचना मिलने पर वह उस दिन समय पर स्कूल तो पहुंचे, लेकिन निरीक्षण दल के रवाना होते ही फिर गायब हो गए। इससे यह साफ होता है कि प्राचार्य खुद भी अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटते रहे हैं और अन्य शिक्षकों पर अनुशासन थोपते रहे हैं।
जनता में यह मांग उठ रही है कि केवल वेतन कटौती से बात नहीं बनेगी, बल्कि ऐसे शिक्षकों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्था में वास्तविक सुधार हो सके।
स्कूल लगने के समय घर से निकलना और स्कूल छूटने के समय तक घर पहुॅचना
प्रशासन को चाहिए कि प्रतिदिन पूरे जिले में औचक निरीक्षण किया जाना चाहिए क्योकि सरकार द्वारा कर्मचारियो एवं अधिकारियो को सेवा के बदले प्रतिमाह अच्छी खासी तनख्वाह मिलती है। जिसमें अफसरो को तो महगाॅई भत्ता से लेकर समय – समय महगाॅई के साथ वेतन भी बढ जाता है इसके साथ सरकारी वाहन वाहन में ईधन और चालक सारी सुविधाये इन्हे प्रदान की जाती है जिसके बाद अफसरो के द्वारा कभी कभार ही औचक निरीक्षण किया जाकर इतिश्री कर ली जाती है जबकि इक्का दुक्का शासकीय स्कूलो को छोड अधिकांश स्कूलो के हाल बेहाल है जिस समय स्कूल लगना चाहिए उस समय शिक्षक अपने घर से निकलते है और स्कूल छूटने के कही आधा घंटा तो कही – कही पन्द्रह मिनिट पहले स्कूल की छुटटी कर दी जाती है यदि किसी को किसी के जन्मदिन या कोई निजी घर के जरूरी काम में जाना होता है तो स्कूल में एक छुटटी का आवेदन छोडकर काम से शिक्षक निकल जाते है और साथी को बता दिया जाता है कि यदि कोई निरीक्षण में आफिसर आ गया तो उसे बता दिया जाता है कि सर तो छुटटी लेकर गए है ऐसे ही अधिकांश स्कूल जिले भर में संचालित हो रहे है और ऐसा भी नही है कि इस बात की जानकारी अधिकारियो को नही है सबको सब कुछ मालूम है पता है लेकिन इनके हाथ क्यों बंधे हुए है यह अभी भी सबसे बडा प्रश्न है।
कार्य के प्रति जिम्मेदार नही है लापरवाह अफसर
सरकार तो शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए कडे कदम उठाना होगा तभी शिक्षा व्यवस्था ठीक हो सकती है वरना सरकार द्वारा बच्चों को खाली निःशुल्क किताबे साईकिले और डेªस देने के कुछ नही होगा जब तक लाखो की तनख्वाह पाने वाले शिक्षको के लिए कठोर नियम बनाने होंगे और शिक्षा को लेकर ऐसे कानून बनाने होंगे जैसे यदि कोई शिक्षक का पाॅच वर्षो को प्रदर्शन सही नही होता है तो उसकी सेवा समाप्ति जैसे कानून बनाने होंगे तभी शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सकता है तभी हमारा राष्ट्र समृद्ध बन सकता है।
सेवा समाप्ति का भय नही होता लापरवाह कर्मचारियो में
कही – कही तो देखने में आता है कि यदि किसी के घर पूजन है या किसी का अपना निजी धार्मिक कोई कार्य है तो शिक्षक अपना शिक्षण कार्य छोडकर अपनी निजी कार्य करने निकल जाते है जिसका कोई भी विरोध नही करता है क्या ऐसी स्थिति में जहां से शिक्षक जिस बात की तनख्वाह ले रहा है उसके साथ क्या इंसाफ कर रहा है ऐसे लापरवाह शिक्षको के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए इनकी सेवाये इनके प्रदर्शन के आधार पर इनकी सेवाये बढाना और घटना समाप्ति जैसे नियम बनाने होंगे। और किसी नये ईमानदार और उत्साही युवाओ को आगे बढाना होगा। अधिकांश शासकीय कार्य में लगे शासकीय कर्मचारियो नौकरी समाप्ति का भय नही होता इस कारण लापरवाही बढती जाती इनके अन्दर यही होता है कि ज्यादा से ज्यादा एक दो दिन का वेतन कटेगा या सस्पेंड होंगे इसके अलावा कुछ होने वाला नही इसलिए दिनो दिन शासकीय कार्य में लापरवाह अधिकारियो कर्मचारियो का खामियाजा आमजन को भोगना पडता है।







