गुरू का स्थान हमेशा से ही सबसे उपर रहा है
सिवनी – गुरू का स्थान हमेशा से ही सबसे उपर रहा है इसका प्रमाण द्वापर त्रेता में मिलता है जब भगवान मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने भी इस धरती पर प्रकट होकर और जब समय आया तो शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरू वशिष्ठ जी के यहा गए वहा के पूरे नियमो का पालन करते हुए एक साधारण विद्यार्थी की भाॅति शिक्षा ग्रहणकर बताया दिया कि विद्यार्थी का जीवन कैसा होना चाहिए और परमयोगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने गुरू सादिपनी से शिक्षा ग्रहण करते हुए यह बता दिया कि हमारे जीवन में गुरू का स्थान सर्वोपरी है।


वर्तमान में चंद लोग सिर्फ नौकरी कर रहे है
और रहेगा लेकिन वर्तमान समय में गुरू सिर्फ गुरू ना होकर जीवन यापन या सिर्फ अपने उदरपोषण का साधन मानकर कार्य कर रहे है लेकिन आज भी कुछ शिक्षक ऐसे है जो मिशाल बनकर अपने आपको पूर्ण मनोयोग से बच्चोें को अपनी ओर से 100 प्रतिशत देते हुए उन्हे शिक्षित करने कार्य में लगे हुए है और सरकार भी ऐसे शिक्षको को चिन्हित कर उन्हे सम्मानित करने का कार्य करती है लाकि भविष्य में ऐसे शिक्षको का मनोबल बढे और वे और अच्छे से बच्चो के भविष्य को सवारने का कार्य कर सकें।


शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी और कार्य के प्रति संवेदनशील होना चाहिए
ऐसा ही एक उदाहरण पेशे किया है सांदीपनि विद्यालय, डूंडासिवनी में पदस्थ प्राथमिक शिक्षक दिगंबर परिहार द्वारा विद्यार्थियों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा की अलख जगाने का कार्य किया जा रहा हैं। बच्चों को मनोरंजक और रोचक तरीके से शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे शाला में वर्ष 2022 में पदस्थ हुए। शिक्षक दिगंबर परिहार का मानना है कि शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी और कार्य के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।


क्लास का हर एक बच्चा उसके लिए खास होना चाहिए
क्लास का हर एक बच्चा उसके लिए खास होना चाहिए और पूरी ईमानदारी से उस पर मेहनत करना चाहिए। इसी सोच के साथ वे विद्यार्थियों से जुडें रहते हैं। यदि कोई विद्यार्थी दो दिन शाला नहीं आता तो वे तत्काल पालकों से संपर्क करते हैं। इसके अलावा हर एक बच्चे की उपलब्धियों पर उन्हें सम्मानित करते हैं।


बच्चो के भविष्य को उज्जवल बनाने में शिक्षक और अभिभावक की भूमिका महत्वपूर्ण है
माह में शत प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चे को उसके पालक को शाला में आमत्रिंत कर उपस्थिति प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता हैं। पूरे माह स्कूल में जो पढ़ाया जाता है उसका टेस्ट होता है और जो विद्यार्थी उत्कृष्ट अंक हासिल करता है उसे पालक के सामने दक्षता प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इसके अलावा पालक को उनके बच्चे की उत्तरपुस्तिका भी दिखाई जाती है। इससे पालक भी समय-समय पर अपने बच्चे की स्थिति से अपडेट होता है और वह शिक्षक से भी जुड़ जाता है। शिक्षक दिगंबर परिहार का मानना है कि अगर अभिभावक और शिक्षक एक दूसरे से जुड़ जाएं तो बच्चे का उज्ज्वल भविष्य बनाने में काफी सहायता मिलेगी।
कोई भी उत्सव मनाने से पहले उसकी पूरी योजना बच्चों के साथ तैयार होती है
वे बच्चों को प्रेक्टिकल के साथ सिखाते हैं। हर शनिवार को बैगलेश डे के दिन खेलकूद की कई गतिविधि होती है। स्कूल में कोई भी उत्सव मनाने से पहले उसकी पूरी योजना बच्चों के साथ तैयार होती है। उन्होंने यूट्ब में चैनल पर भी बना रखा है। इसमें कक्षा पहली से पांचवीं तक हर एक विषय का वीडियो तैयार कर पोस्ट करते हैं। जिससे अन्य बच्चे भी मदद ले सकें।
स्कूल में उत्कृष्ट बच्चों का भी वीडियो बनाते हैं और पोस्ट करते हैं।
इसके लिए उन्होंने घर पर ही लाखों रुपए की लागत से वीडियो बनाने के लिए सेटअप तैयार किया हुआ है। वे स्कूल में उत्कृष्ट बच्चों का भी वीडियो बनाते हैं और पोस्ट करते हैं। शिक्षक दिगंबर परिहार का मानना है कि इससे अन्य बच्चों को प्रेरणा तो मिलती ही है साथ ही जब बच्चा बड़ा होगा और अपना वीडियो देखेगा तो खुद पर निश्चित रूप से गौरवान्वित होगा और शिक्षक को भी याद करेगा।