filter: 0; fileterIntensity: 0.000000; filterMask: 0; captureOrientation: 0; hdrForward: 6; shaking: 0.003111; highlight: 1; algolist: 0; multi-frame: 1; brp_mask: 8; brp_del_th: 0.0000,0.0000; brp_del_sen: 0.0000,0.0000; delta:null; module: photo;hw-remosaic: false;touch: (-1.0, -1.0);sceneMode: 7864320;cct_value: 0;AI_Scene: (-1, -1);aec_lux: 141.0;aec_lux_index: 0;albedo: ;confidence: ;motionLevel: 0;weatherinfo: null;temperature: 42;

सिवनी – गत 30 सितम्बर 2025 को मंडला रोड पर स्थित डुगरिया में पदस्थ शिक्षक नोबत प्रसाद शुक्ला रिटायर हुए जिसके बाद इतने वर्ष शासकीय स्कूल में सेवाए देने के बाद उनका मन हुआ कि वे विद्यार्थियो को कुछ ऐसा दे कि बच्चे उन चीजो का उपयोग शिक्षण कार्य में कर सकें श्री शुक्ला ने जैसे की अपने बेटे इस अपने मन की जिज्ञासा व्यक्त कि उनके बेटा जो कि पूना में किसी कंपनी में कार्यरत है उसने झट इस बात की सहमति जताते हुए कहा पापा आप चिंता ना करें मै यहां से आपके स्कूल के विद्यार्थियो के लिए अपनी मनसा के अनुरूप गिफट भेज दूंगा जिसके बाद श्री शुक्ला के बेटे ने कुछ दिनों में एक कार्टून पैक कर पिता के पास पार्सल किया जिसे देख पिता खुशी से झूम उठे जिसके बाद अवसर आया जब रिटायर्ड शिक्षक के बेटे के द्वारा भेजा गया गिफट बच्चो के बाॅंटने के अवसर पर जैसे ही विद्यार्थियो ने देखा जिनके द्वारा गिफट दिया जा रहा है उस पर उस शिक्षक की फोटो बनी हुई है और आखरी पन्ने पर कुछ अच्छी पक्तियाॅं भी अंकित की गई है बच्चे पेन और काॅपी लेकर बेहद खुश नजर आए।
इस अवसर पर शाला के शिक्षको के अलावा अन्य स्कूलो से उनके शिक्षक कार्यकाल के दौरान रहे शिक्षको एवं जिनके साथ शिक्षण कार्य किया वे सभी इस बिदाई के अवसर पर सम्मालित हुए जिनके द्वारा सबने अलग – अलग उदगार व्यक्त किये जिसमें सभी के उदगारो में एक बात खास थी और वो बात थी कि नोबत प्रसाद शुक्ला जैसे भी थे वे गलत बात बर्दाश्त नही करते है साथ ही थोडा नाराज होने के बाद पुनः उनकी नाराजगी पे्रम में बदल जाती है इनका जीवन विद्यार्थियो के लिए समर्पित रहा है साथ ही अपने साथी शिक्षको के साथ इनका व्यवहार एक परिवार के सदस्यो जैसा रहा है गलत बात पर डाॅटना और सही सलाह देना इनकी खूबी में शामिल रहा है।
इस अवसर पर श्री शुक्ला ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि इतने सारे मेरे साथियो ने मेरा खूबी बताई मुझे नही लगता मेरे में इतनी सारी खूबीयाॅ है आगे श्री शुक्ला ने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यार्थियो से शिक्षक है ना कि शिक्षको से विद्यार्थी इसलिए शिक्षको को अपना पूरा समय विद्यार्थियों को ईमानदारी से देना चाहिए जिस बात की वे तनख्वाह पाते है साथ ही हमारे साथ में हमारे द्वारा किये गए सत्कर्म ही जाना है ना कि हमारे द्वारा कमाया गया धन और अंहकार।
इस अवसर पर शाला परिवार के शिक्षक – शिक्षिकाओ समेत आॅगनवाडी कार्यकर्ता समेत सभी शामिल रहे।