सिवनी – किसी के भी जीवन के लिए अपनी नौकरी के रिटायरमेंट का समय बेहद ही खास होता है क्योंकि वह व्यक्ति अपने जीवन का जिंदगी का लगभग आधा समय वह किसी की सेवा में बिता चुका होता है इस दौरान अपने खटटे मीठे अनुभव और यादगार पल उसे बेहद ही याद आते है और यही एक ऐसा दिन होता जब उसे सारी बातें याद आती है और तब उनके मन में एक ही बात याद आती है कि जीवन में मैने किसका क्या बोल दिया ऐसे समय को वे जीवन की बातें खास बनाती है ऐसा ही कुछ गत 30 सितम्बर 2025 को मंडला रोड पर स्थित डुगरिया में पदस्थ शिक्षक नोबत प्रसाद शुक्ला रिटायर हुए जिसके बाद इतने वर्ष शासकीय स्कूल में सेवाए देने के बाद उनका मन हुआ कि वे विद्यार्थियो को कुछ ऐसा दे कि बच्चे उन चीजो का उपयोग शिक्षण कार्य में कर सकें। हमारे यहां कहावत है पूत कपूत तो का धन संचय और पूत सपूत तो क्या धन संचय अर्थात अपनी संतान अच्छी निकल गई तो हमारे पान धन नही भी है तो वह धन और मान सम्मान खूब हासिल कर सकती है लेकिन यदि हमारी संतान सही नही निकली तो फिर हमारे द्वारा जीवन मंें धन का संचय करना व्यर्थ है क्योंकि वह हमारे श्रम से कमाये धन को बर्बाद करने में अपना जीवन लगा देगी। इसलिए अपनी संतान को यदि आपको देना है तो उन्हे अच्छे संस्कार दीजिए जीवन में धन नही भी कमाये तो कोई बात नही लेकिन संतान को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार जरूर दीजिए। ऐसा ही कुछ श्री शुक्ला ने जैसे की अपने बेटे इस अपने मन की जिज्ञासा व्यक्त कि उनके बेटा जो कि पूना में किसी कंपनी में कार्यरत है उसने झट इस बात की सहमति जताते हुए कहा पापा आप चिंता ना करें मै यहां से आपके स्कूल के विद्यार्थियो के लिए अपनी मनसा के अनुरूप गिफट भेज दूंगा जिसके बाद श्री शुक्ला के बेटे ने कुछ दिनों में एक कार्टून पैक कर पिता के पास पार्सल किया जिसे देख पिता खुशी से झूम उठे जिसके बाद अवसर आया जब रिटायर्ड शिक्षक के बेटे के द्वारा भेजा गया गिफट बच्चो के बाॅंटने के अवसर पर जैसे ही विद्यार्थियो ने देखा जिनके द्वारा गिफट दिया जा रहा है उस पर उस शिक्षक की फोटो बनी हुई है और आखरी पन्ने पर कुछ अच्छी पक्तियाॅं भी अंकित की गई है बच्चे पेन और काॅपी लेकर बेहद खुश नजर आए।
इस अवसर पर शाला के शिक्षको के अलावा अन्य स्कूलो से उनके शिक्षक कार्यकाल के दौरान रहे शिक्षको एवं जिनके साथ शिक्षण कार्य किया वे सभी इस बिदाई के अवसर पर सम्मालित हुए जिनके द्वारा सबने अलग – अलग उदगार व्यक्त किये जिसमें सभी के उदगारो में एक बात खास थी और वो बात थी कि नोबत प्रसाद शुक्ला जैसे भी थे वे गलत बात बर्दाश्त नही करते है साथ ही थोडा नाराज होने के बाद पुनः उनकी नाराजगी पे्रम में बदल जाती है इनका जीवन विद्यार्थियो के लिए समर्पित रहा है साथ ही अपने साथी शिक्षको के साथ इनका व्यवहार एक परिवार के सदस्यो जैसा रहा है गलत बात पर डाॅटना और सही सलाह देना इनकी खूबी में शामिल रहा है। आपको बता दें जिस दिन श्री शुक्ला ने स्कूल परिसर में अपने मित्रो के साथ बिदाई का समारोह मनाया वह वाकई में यादगार पल था जब स्कूल की रसोइयां की आखों में आॅसू थे और एक बच्ची ऐसी भी थी जो रिटायर्ड शिक्षक के स्कूल के निकलने के बाद भी उसने रिटायर्ड शिक्षक श्री शुक्ला को नम आॅखो से बिदाई दी।
इस अवसर पर श्री शुक्ला ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि इतने सारे मेरे साथियो ने मेरा खूबी बताई मुझे नही लगता मेरे में इतनी सारी खूबीयाॅ है आगे श्री शुक्ला ने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यार्थियो से शिक्षक है ना कि शिक्षको से विद्यार्थी इसलिए शिक्षको को अपना पूरा समय विद्यार्थियों को ईमानदारी से देना चाहिए जिस बात की वे तनख्वाह पाते है साथ ही हमारे साथ में हमारे द्वारा किये गए सत्कर्म ही जाना है ना कि हमारे द्वारा कमाया गया धन और अंहकार। इस अवसर पर सुभाष राव सोनी,होशियार सिंह टेंभरे,परमानंद गूजर,मनोज टेंभरे,गोविंद ठाकरे,बी.एस.उईके,नरेन्द्र मिश्रा,विनोद मिश्रा,अजय शर्मा,नीरज पांडे,भारती पटवा,जयश्री जाउलकर,प्रीति गौतम,उर्मिला यादव,जे.पी.शरणागत,सरिता शरणागत,पुनीता उईके,दिलीप तिवारी,अर्चना तिवारी,संध्या शर्मा,विनोद शर्मा,नवनीत बघेल,राधेश्याम ठाकुर,सौरभ शर्मा,पूनम विश्वकर्मा,सबिता विश्वकर्मा,सुखवती विश्वकर्मा,मालती उईके,सतीश मिश्रा एवं शाला परिवार की छात्र – छात्राये और मनीष तिवारी,दुर्गा डहेरिया,प्रकाश तिवारी,श्रीमति दुर्गा,मानेश्वर चैधरी,कमलेश भांगरे समेत आॅगनवाडी कार्यकर्ता समेत सभी शामिल रहे।







