सिवनी – कहते है जहां चाह वहा राह होती है और एक बात और पूत के पाॅव पालने मे ही दिख जाते है कुछ ऐसे बच्चे होते है जो दूसरे बडे खिलाडियो से प्रेरित होकर आगे बढने की लालसा रखते और यही जूनून उनके लक्ष्य पाने का कारण बनता है कुछ ऐसा ही केवलारी के ग्राम लोपा जो किस मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है वहां से रोज ट्रेन से अपने पापा के साथ हाॅकी का खेल सीखने अपनी बहन के साथ आ रही है और रोज ट्रेन से वापस चली जाती है। आपको बता दे भुवनेष्वर सूर्यवंशी जो कि केवलारी के एक प्राईवेट स्कूल में पढाते है उनकी छोटी बेटी अवीश्री सूर्यवंशी लगभग सात वर्ष की है और अनन्या जो कि कक्षा सातवी में पढाई करती है दोनो बेटियो के पिता ने संवाददूत को बताया कि वे हाॅकी के ओलम्पिक के दौरान सफल हाॅकी खिलाडियो को खेलते देखा है तब से वे उनके जैसे ही बनना चाहती है इसलिए मुख्यालय में ग्रीश्मकालीन खेल षिविर में भाग लेने रोज सुबह चार बजे उठकर तैयार होकर पलारी स्टेषन अपने पिताजी और बडी बहन के साथ पहॅुचती है और ट्रेन मे बैठकर बाकायदा हाॅकी एवं बाॅल लेकर रोज स्ट्रोटर्फ ग्राउड में हाॅकी का हुनर सीखने आती है लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि एक छोटी सी नन्ही खिलाडी पाचस किलोमीटर दूर से दिल में हाॅकी सीखने की जुनून लेकर चली आती है लेकिन जिस कोच के पीछे सरकार साल मे लाखो रूपये खर्च करती है ऐसे कुछेक कोच स्वयं एक हाथ से दो दो लडडू खाने के चक्कर में षिविर में पही पहुॅच पा रहे है सुबह के समय कौन आ रहा है कौन नही आ रहा इसकी सुध लेने वाला कोई नही है तभी तो मनमानी पर उतारू है आपको बता दें खेल युवा कल्याण विभाग में टर्फ का आनन फानन में षुभारंभ तो हो गया लेकिन सूत्रो की माने तो हाॅकी फीडर एवं खेलो इंडिया के बच्चे नही पहुॅच पा रहे है इसके अलावा समर कैंप मे ंसिवनी में समन्वयक के प्रभार में चल रहा है अब सबसे बडा सवाल यह है कि क्या हाॅकी मानसेवी कोच को दो जगह डयूटी करने का अधिकार है और विभाग के सभी विकासखंड समन्वयक अपनी उपस्थिति कहा दर्ज कराते है विभाग में वाॅलीवाल व कबडडी ग्राउंड के लिए जगह नही है जो इन खेलो को पुलिस लाईन में लगावाया जा रहा है। इस सब सवालो को लेकर हम आपके सामने आते रहेंगे तब तक के लिए नमस्कार।