अगर गलियारा नहीं होता तो क्या श्री नितिन गड़करी साहब एशिया का इतना बड़ा हाईवे सिवनी में स्वीकृत करते।
सिवनी – जिस विधानसभा सत्र को 3 सप्ताह चलना था वह पहले ही सप्ताह में स्थगित कर दिया गया इसलिये मेरे द्वारा सिवनी जिले में हुई गौवंश की हत्या का ध्यानाकर्षण सदन में नहीं आ पाया है. मुझपर जो आरोप लगाया जा रहा है कि मैने गौवंश का मामला सदन में नहीं उठाया यह मिथ्या है जिले के हित के जितने मामले मेरे संज्ञान मे है सभी को मैने सदन में उठाया है अगर सदन ही स्थगित हो जायेगा तो मामले सदन में आयेंगे कैसे ?
उक्ताशय की बात केवलारी विधायक ठाकुर रजनीश हरवंश सिंह द्वारा प्रेस को जारी विज्ञप्ति मे कही गयी है. आपने कहा कि सिवनी जिले मे हुई गौ हत्याओं के प्रति भी मेरी संवेदनशीलता है और वन्य प्राणियों के प्राकृतिक गलियारे पर भी मेरी संवेदनशीलता है.
ठाकुर रजनीश सिंह ने बताया कि जब गायों की हत्याएं हुई मेरे द्वारा मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव से बात की गयी पहले वे दिल्ली में थे तो उनके ओएसडी से बात हुई फिर बाद में स्वयं उनसे बात हुई. कलेक्टर, एसपी से बात हुई, संभागीय समीक्षा बैठक मे भी मैने ही मुद्दा उठाया और परिणाम सभी के सामन है. सभी समाज के रोष एवं सभी जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए शासन प्रशासन ने कार्यवाही की है इस कार्यवाही से हम संतुष्ट नहीं है हमारी मांग तो है कि और कड़ी कार्यवाही की जाये जिसके लिये मैने ध्यानाकर्षण लगाया था पर मेरे द्वारा लगाये गये ध्यानाकर्षण पर सदन में चर्चा हो पाती उसके पहले ही सदन स्थगित हो गया.
ठाकुर रजनीश सिंह ने कहा कि रेत खदान का मामला भी मै शुरू से उठाते आ रहा हूं. वर्ष 2013 मे मैं पहली बार जब विधायक बना था उस पंचवर्षीय में रेत खदान का ठेका दिया गया, सरकारी काम के लिये भी ठेका दिया गया पर तब यह स्पष्ट नहीं था कि पेंच से कान्हा का वन्य जीवों के आवागमन के लिये प्रकृति द्वारा विकसित किया गया जो गलियारा है वह वहाँ से जाता है या नहीं.
इसके बाद आखिरकार सरकार ने उस गलियारे को माना. एनटीसीए की गाइडलाइन को मानकर एनएचएआई ने 900 करोड़ रूपये का लाइट एंड साउंड प्रूफ एलीवेटेड हाईवे दिया जिसके कारण हम 2 गुना, 3 गुना टोल देते हैं और जब इतना खर्च हो गया तो उस गलियारे को नष्ट करने के लिये रेत खदान का ठेका दिया जाने लगा.
ठाकुर रजनीश सिंह ने कहा कि अगर गलियारा है और उस गलियारों को बचाने के लिये जब भारत सरकार 900 करोड़ खर्च कर सकती है तो रेत खदान का ठेका देकर राज्य सरकार उस पैसे की तबाही क्यों मचा रही है. दूसरी बात यह है कि जब पर्यावरण को दृष्टीगत रखकर पूरा की पूरा एक राष्ट्रीय राजमार्ग रूक सकता है तो रेत खदान पर सरकार क्यों मेहरबान है. हमारे देश चीते विलुप्त हो गये. चीतों को लाने में भारत सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर रही है. पेंच के हिरण चीतों के लिये नमीबिया मे छोड़े जा रहे हैं और बाघों को बचाने के लिये जो प्राकृतिक गलियारा है उसे हम नष्ट करने में लगे हैं.
ठाकुर रजनीश सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से रेत का उत्खनन किया जा रहा है नदियों के पाट चैड़े हो रहे हैं नदिया नहीं बचेंगी. इन नदियों के कारण जो भूमि में जो आद्रता है उसके कारण प्राकृतिक गलियारा है वह वन्य प्राणियों का हाईवे है. जंगल के प्राणी उस हाईवे से एक नेशनल पार्क से दूसरे नेशनल पार्क जाते हैं ये सेटेलाइट का प्रमाणिक सर्वे है. इतने सारे प्रमाण होने के बाद भी एक ठेकेदार को अवैध तरीके से लाभ पहुँचाने के लिये अगर प्रदेश का पूरा खनिज विभाग आँख बंद करके बैठ जायेगा तो मै तो क्षेत्र का विधायक हूँ मै अपनी आँखे बंद नहीं कर सकता और किसी के हितों को जब चोंट पहुंचेगी, जब कुठाराघात होगा तो वो तो कुछ भी अनर्गल आरोप लगायेगा. मै उन सब आरोपों को सहने को तैयार हूँ. मेरे ऊपर जो भी आरोप लगने हैं लगे, पर मेरी बातें स्व प्रमाणित हैं. अगर गलियारा नहीं होता तो क्या इतने दिनों तक हमारी फोरलेन रूकती. अगर गलियारा नहीं होता तो क्या श्री नितिन गड़करी साहब एशिया का इतना बड़ा हाईवे सिवनी में स्वीकृत करते।