सिवनी – उपसंचालक पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी ने बताया कि चीतलों के घनत्व की दृष्टि से न केवल मध्य प्रदेश बल्कि भारत के अग्रणी टाइगर रिजर्व में से एक है। चीतलों की अधिक संख्या एक और गौरव का विषय है और बाघों की बड़ी संख्या के प्रबंधन में अत्यंत मददगार है। मगर दूसरी ओर चीतलों के अत्यधिक घनत्व का कुप्रभाव घास मैदानों की गुणवत्ता पर भी पड़ता है। इसी दृष्टि से मध्यप्रदेश वन विभाग पेंच और मध्य प्रदेश के अन्य अधिक चीतल घनत्व वाले क्षेत्र से चीतलों को ऐसे वन क्षेत्र में हस्तांतरित करता है जहां उनकी संख्या अत्यधिक कम है। विभिन्न प्रबंधकीय कारणो से लगभग विगत एक दशक में मध्य प्रदेश के एक वन क्षेत्र से दूसरे वन क्षेत्र में 8000 से कुछ अधिक संख्या में चीतल हस्तांतरित किए जा चुके हैं। इनमें से 4000 से कुछ अधिक संख्या में चीतल मात्र पेंच टाइगर रिजर्व से अन्य क्षेत्र यथा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व कुनो राष्ट्रीय उद्यान और नौरादेही अभयारण्य जिसे अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है आदि जगहों मे भेजे जा चुके हैं।
इसी प्रक्रिया के अंतर्गत मध्यप्रदेश शासन ने पेंच के अधिक चीतल घनत्व वाले क्षेत्र से 200 चीतल रुखड परिक्षेत्र एवं 100 चीतल अरी भेजने की अनुमति दी है, रुखड एवं अरी परिक्षेत्र में चीतलों की संख्या बढ़ने पर वनों के भीतर बाघों हेतु भोजन की उपलब्धता बढ़ेगी और इन परिक्षेत्र के समीप गांव से लगे वन क्षेत्र एवं राजस्व क्षेत्र में बाघों के द्वारा होने वाले पशुहानि प्रकरणों में कमी आ सकेगी। इसी तारतम्य में रविवार को गुमतरा परिक्षेत्र के अधिक चीतल घनत्व वाले क्षेत्र से 60 चीतलों को दो अलग-अलग चीतल परिवहन ट्रकों के द्वारा अरी परिक्षेत्र में ले जाकर मुक्त किया गया।