सिवनी – नेताजी सुभाष चंद्र बोस शासकीय कन्या महाविद्यालय सिवनी में हरित कोर इकाई प्रभारी डॉ. रुचिका यदु के नेतृत्व में राष्ट्रीय वन्य जीव सप्ताह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि भारत में हर साल 2 से 8 अक्टूबर तक राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है। इस सप्ताह का उद्देश्य भारत के वनस्पतियों और जीवों की रक्षा और संरक्षण करना है। वन्यजीव सप्ताह की अवधारणा 1952 में लुप्तप्राय और संकटग्रस्त जानवरों की प्रजातियों के जीवन की रक्षा के दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ बनाई गई थी। इसका उद्देश्य हमारी समृद्ध जैव विविधता की रक्षा और संरक्षण करना है। इस वर्ष की थीम, ष्हमारी प्राकृतिक विरासत की सुरक्षाष् सहयोगात्मक संरक्षण प्रयासों पर केंद्रित है। भारत एक जैविक हॉटस्पॉट है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों और पौधों की कई प्रजातियों का घर है। भारत की वनस्पति और जीव-जंतु अत्यधिक विविध हैं और दुनिया की जैव विविधता का 7 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बनाते हैं। यह अविश्वसनीय रूप से दुनिया के 7.4 प्रतिशत जीवों का भी प्रतिनिधित्व करता है।

इस अत्यधिक जैविक रूप से विविध देश को इस समृद्ध आवरण को संरक्षित करने के लिए उचित शिक्षा और जागरूकता की आवश्यकता है। इसलिए, वन्यजीव सप्ताह की अवधारणा बनाई गई थी। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में वन्यजीवों की भूमिका के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए यह सप्ताह मनाया जाता है। लंबे समय तक वन्यजीवों को होने वाला कोई भी नुकसान पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालता है। इसलिए इसे व्यवस्थित रूप से और दिल और आत्मा से बचाना महत्वपूर्ण है। जंगल, जंगल में रहने वाले जानवरों, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और मनुष्यों के बीच एक सहजीवी संबंध है। अब स्वदेशी लोगों के पास लगभग 28 प्रतिशत वन भूमि का प्रबंधन है, इसलिए विश्व वन्यजीव सप्ताह का मिशन अब और अधिक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर महाविद्यालय में हथेली पर वन्य जीव पेंटिंग का आयोजन किया गया जिसमें सुश्री आयशा खान, आमना फिरदौस, निदा निशा सोनी, पायल रघुवंशी, निखत खान, पूनम सनोड़िया एवं शिखा साहू ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।