सिवनी – मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से बड़ी खबर है. इंदिरा गांधी अस्पताल एकमात्र ऐसा सरकारी अस्पताल है जिसमें इलाज के लिए दूर – दूर से भारी संख्या में बीमार लोग आते हैं. ये वो लोग होते जो दूर – दराज गाॅंवो से किसी तरह इलाज के कराने के लिए यहां इसलिए आते हैं ताकि इन्हे बेहतर इलाज मिल सके. लेकिन 400 बिस्तरों वाले सिवनी जिला चिकित्सालय की सेहत बद से बदतर होती जा रही है. और ऐसा तब हो रहा जब सरकार द्वारा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है. दरअसल, यह अस्पताल तो है, लेकिन यहां डॉक्टरों की भारी कमी है. जिला अस्पताल की क्षमता के मुताबिक डॉक्टरों के आधे पद खाली पड़े हैं और जो है वो भी समय पर हास्पिटल नही आते समय पर दूर – दूर से मरीज कोई बस से तो कोई स्वयं के साधन से हास्पिटल पहुॅच जाते है लेकिन मुख्यालय में रहने के बाद भी चिकित्सक समय पर अपनी डयूटी पर नही आ पा रहे है।
चिकित्साल में पदस्थ सीनियर चिकित्सक नियम अनुसार अपनी सेवाएं नहीं दे रहे. डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज को समय मे बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा. डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को महंगे निजी अस्पतालो की शरण लेनी पड रही है जिससे मरीजों की मजबूरी फायदा उठाते हुए प्राईवेट हास्पिटल वालो के यहा मरीजो की जेबे खाली हो रही है .वक्त पर मुफ्त मिलने वाली दवा भी पर्याप्त नही मिल रही है।
टोकन मशीन बनी शोभा की सुपारी
सरकारी धन की किस तरह बरबादी होती है इसका उदाहरण हमे देखने को मिला इंदिरा गाॅधी जिला चिकित्सालय में जहां कुछ दिनो पूर्व एक टोकन मशीन लगाई गई जिसमें पहले मरीज को पहले टोकन निकालना होता था उसी क्रम में मरीज की पर्ची बनती थी लेकिन यह टोकन मशीन किसके कहने पर कितने चिकित्सालयो में आई कितने धन की बर्बादी हुई आखिर इस मामले में किसको सीधे लाभ पहुचाने का यह कारनामा किया गया यह अभी सबसे बडा प्रश्न है अब देखना बाकी है कि ऐसी टोकन मशीनो का क्या होता है या कुछ दिनो बाद ये कबाड में तब्दील हो जायेगी। या इनका सदुपयोग हो पायेगा इस मामले की भी जाॅच होनी चाहिए ताकी सब कुछ स्पष्ट हो सके।
अस्पताल में नही रहती साफ – सफाई
प्रदेश में भाजपा की सरकार ,केन्द्र में भाजपा की सरकार, विधायक भाजपा के सांसद भाजपा ,इसके बाद भी जिला चिकित्सालय का इस तरह का हाल बेहाल देखकर तो यही लगता है कि यदि सरकार द्वारा निजिकरण किया जाने का विचार किया जा रहा है तो क्या गलत है यह सब समय की गर्त में छिपा हुआ सवाल है कि आने वाले भविष्य में क्या होता है इसके पूर्व हमने देखा हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हमारे राष्ट्रपिता के बताये रास्ते पर चलते हुए सफाई का बीडा उठाया और इस दिशा मे इस काम के लिए करोडो रूपये पानी की तरह बहाये जा रहे है ताकि हमारे देश के नागरिक स्वस्थ्य रहे लेकिन सिवनी जिला चिकित्सालय की दशा देखकर तो ऐसा प्रतीत होता है मानो साफ – सफाई से इन्हे कोई लेना – देना ही नही है ऐसी दशा में यहा आने के बाद मरीज ठीक होने के बजाय कितने समय में स्वस्थ्य होगा यह सबसे बडा यक्ष प्रश्न है।
भारी भरकम बजट मिलने के बाद भी बदहाली
हैरानी की बात यह है कि सरकार हर साल इस अस्पताल के रख-रखाव के लिए भारी-भरकम बजट देती है. लेकिन, इसके बावजूद अस्पताल के हालात बदतर होते जा रहे हैं. इन सभी बदहाल व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए जिम्मेदार अधिकारी अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं. सूत्रो की माने तो यहां रोज करीब 5 हजार लोग आते हैं. स्टाफ कम है. इस वजह से कई जगह गंदगी दिखाई देती है. कई जगह से बिल्डिंग जर्जर होती जा रही है। सोमवार और मंगलवार को संवाददूत द्वारा लगातार चिकित्सालय का जब जाकर देखा गया तो कर्मचारी तो पहले आ जाते है लेकिन बाकी चिकित्सक समय पर नही आते जिससे मरीजो को परेशान होते देखा गया। इसके पहले एक बार चिकित्सालय का औचक निरिक्षण एसडीएम द्वारा किया गया था जिसकी सूचना सिवनी कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन को दी गई।
अधिकारियो और जनप्रतिनिधियो को कम से कम हफते में एक बार यहा आना चाहिए
जिला कलेक्टर समेत जनप्रतिनिधियो को हफते में कम से कम एक बार औचक निरिक्षण किया जाना चाहिए ताकी व्यवस्थाये बनी रह सके मरीजो को उपचार समय पर मिल रहा है या नही साफ – सफाई होती है या नही और जो लोग हास्पिटल में गंदगी करते है उनपर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए जिससे यहा साफ सफाई बनी रहे। इसके अलावा यहा जो मशीने लगी है वो सही है या नही पैथालाॅजी की क्या दशा है कही पैथालाॅजी की सामग्री का कोई प्राईवेट पैथालाॅजी वाला अन्दर प्रवेश कर इसका दुरूपयोग तो नही कर रहा है और शुद्धपेयजल की आपूर्ति हो रही है या नही,हास्पिटल में स्थापित ट्रामा सेंटर चालू है या नही कुछ इस तरह का एक कार्यक्रम सुनिश्चित हो जनहित में जिला कलेक्टर और जनप्रतिनिधियो से अपेक्षा है।