सिवनी – सिवनी जिले का इंदिरा गाॅधी जिला चिकित्सालय एक बार सुर्खियो मे छाया हुआ है सरकार द्वारा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जा रहा है लेकिन आरोप लग रहे है कि कुछ दिनो पूर्व यहां पर एक मशीन लगाई गई थी जिसे टोकन मशीन कहा जाता था उस मशीन से पहले टोकन निकाला जाता था जिसके बाद मरीज का नंबर आने पर उसकी पर्ची बनती थी लेकिन थोडे दिनो चलने के बाद वह मशीन थक गई और उस पर लिख दिया गया यह मशीन बंद है।
हास्पिटल में रहता है पानी का अभाव
सूत्रो की माने तो इस हास्पिटल में मरीजो को पीने तक का शुद्ध पानी नही मिलता है इसके साथ ही यहा के बाथरूम भी पानी एवं सफाई ना होने की दशा की में गंदगी से बजबजा रहे है अब आप अंदाजा लगा सकते है कि जहां के बाथरूम आदि साफ – सुथरे होने चाहिए वहा गंदगी भरी पडी है तो मरीज किस तरह ठीक होंगे इस दिशा में जिम्मेदार ध्यान नही दे रहे है जिसका खामियाजा यहा आने वाले मरीज और उनके परिजन भुगत रहे है।
पंखे रहते है बंद
हास्पिटल में विभिन्न जगहो पर जहां मरीजो के बैठने की व्यवस्था है वहा के पंखे कई दिनो से बंद पडे है लेकिन जहां डाक्टर और स्टाफ को लोगो के बैठने की जगह है वहा के पंखो समेत सभी उपकरण चालू हालत में है।
मरीजो से स्टाफ का नही है संतोषजनक व्यवहार
चैक चैराहो में यह तक चर्चा है कि इंदिरा गाॅधी जिला चिकित्सालय में यदि कोई मरीज यहा पदस्थ डाक्टरो के निजि क्लिनिको में जाकर फीस जमा कर देते है और जब वे हास्पिटल आकर उन्ही डाक्टरो से उपचार कराते है उनके साथ इनका व्यवहार अच्छा होता है लेकिन आम मरीजो के साथ बहुत रफ तरीके से चिकित्सको द्वारा बात की जाती है कहते है चिकित्सको के मात्र व्यवहार से मरीज आधा ठीक हो जाता है लेकिन यहा उल्टा होता है ऐसा प्रतीत होता है मानो यह हास्पिटल यहा पदस्थ स्टाफ और चिकित्सको के जेब के खर्च से चलता है।
मेडिकल काॅलेज के छात्रो की वजह से हास्पिटल में जान आ गई
जब से मेडिकल काॅलेज का उदघाटन हुआ है और वहा के चिकित्सक नियमानुसार अपनी पढाई पूरी करने यहा आ रहे है तब से मरीज का सही तरीके से उपचार और चेकअप हो रहा है वरना यहा का भगवान ही मालिक था जब राज्यपाल महोदय मेडिकल काॅलेज के उदघाटन के अवसर पर आये थे तब उन्होने बहुत सारगर्भित बात चिकित्सको के बारे में कही थी कि जिनके मन में सेवा भाव होता है वही इस फील्ड को चुनता है लेकिन यहा के चंद चिकित्सको का व्यवहार और धन के लालच के चलते दूसरे चिकित्सको पर भी लोग भरोसा नही करते है लोग तो यह भी कहते है कि मजबूरी में सरकारी हास्पिटल जाना होता है वरना यहा जाने तक का मन नही करता।