आखिर केवलारी रेंजर ही जिम्मेदार है क्या वनो की अवैध कटाई के लिए

349

सिवनी – प्रदेश के सिवनी जिले के केवलारी वन परिक्षेत्र में विगत कई वर्षो से वृक्षो की कटाई अवैध रूप से वन माफियाओ के द्वारा की जा रही थी इस मामले में केवलारी वनपरिक्षेत्राधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। विभाग के आदेश के मुताबिक अमित सोनी पर आरोप था कि उन्होने अपनी जिम्मेदारियो का निर्वहन ना करते हुए लापरवाही की। इतना ही नही अमित सोनी ने वन माफियाओ को संरक्षण भी दिया। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या इस बात की जानकारी तत्कालीन सांसद को नही थी क्या इस बात की जानकारी तत्कालीन विधायक को नही थी क्या इस बात की जानकारी वन विभाग के उच्चाधिकारियो को नही थी और यदि इस सभी को इनके क्षेत्र में चल रहे इतने बडे वन परिक्षेत्र में वनो की अंधाधुंध कटाई जारी थी तो जनप्रतिनिधियो और अधिकारियो को इस बात की जानकारी ना होना कई सवाल खडे करता है। .
अब सवाल यह उठता है कि इसके जिम्मेदार कौन – कौन
इसके जिम्मेदार खाली केवलारी वनपरिक्षेत्राधिकारी नही और ना ही एसडीओ गुरूदेव नही यदि इस मामले की सूक्ष्मता से उच्चास्तरिय जाॅच की जाए तो कई बडे मगरमच्छो की लिस्ट निकलकर सामने आएगी।


तत्कालीन अधिकारी और जनप्रतिनिधियो की जाॅच
तत्कालीन जिन अधिकारियो के समय में केवलारी क्षेत्र में वनो की अंधाधुंध कटाई की गई उनकी अचल संपत्ति की जाॅच की जाए चाहे अधिकारी हो जनप्रतिनिधि हो सभी की सूक्ष्मता से जाॅच की जाए जिसमें इनको महिने मे मिलने वाली सैलरी आदि को शामिल किया जाए और पता लगाया जाए कि इतने चंद वर्षो में इनके पास करोडो की संपत्ति कहां से आई तो सब पानी की तरह स्पष्ट हो जायेगा कि आखिर वनो की लकडी की अवैध कटाई में किस – किस को हिस्सा गया और इनके पास इतना पैसा आया तो आया कहा से।
पहले कितना क्षेत्र था वनो का
यदि पता लगाया जाए कि पूर्व में चाहे चंदन के जगलो का सागौन के जंगलो का कितना क्षेत्रफल था और अब उस क्षेत्रफल में कितने वृक्ष है आखिर वे वृक्ष गए तो गए कहा इन सब मामलो की बारीकी से जाॅच की जाए तो कई बडे मगरमच्छ जो छोटी – छोटी मछलियो को फॅसाकर अपने आप को बचाने का प्रयास कर रहे है क्या उनकी जिम्मेदारी नही बनती और जब जंगलो में पेडो की अंधाधुंध कटाई अवैध रूप से चल रही थी तो इन्हे इस बात की जानकारी क्यो नही थी और नही थी तो इन्होने वहा जाकर वहा के जंगलो की सुध क्यो नही ली। आखिर अधिकारियो के उपर किसका दबाव था आखिर अधिकारी चुप क्यो थे।


जब मीडिया ने उठाया सवाल तब जागा प्रशासन
जब जंगलो की अंधाधुंध कटाई के मामले में मीडिया ने जान हथेली पर रखकर अवाज उठाई तब जाकर वन विभाग के उच्चाधिकारी जागे और कार्रवाई के नाम पर वनपरिक्षेत्राधिकारी को निशाना बनाया। पिक्चर अभी खतम नही होती ये तो टेªलर है पिक्चर अभी बाकी है। इस मामले का सही विलेन कौन है इसमे और किस किस का हाथ है इस मामले की सूक्ष्मता से जाॅच की जाए तभी सब कुछ स्पष्ट हो पायेगा।