सिवनी – धार्मिक मान्यताओ के अनुसार अक्षय तृतीया एक बेहद और खास महत्वपूर्ण तिथी इसलिए मानी जाती है क्योकि द्वापर और त्रेतायुग का ष्षुभारंभ इस दिन से हुआ था और भगवान परषुराम नर नारायण हयग्रीव का अवतार हुआ था इतना ही नही अक्षय तृतीया से ही बद्रीनाथ के कपाट खुलते है और केवल इसी दिन वृन्दावन में भगवान बांके बिहारी जी के चरणो के दर्षन होते है इसलिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है भगवान परषुरामजी के जीवन पर आधारित एक गाना नगर के अर्पित मिश्रा और मनोज रिंकू मिश्रा ने सिवनी में रिकार्ड कर तैयार किया है इस गाने को बनाने के लिए ब्राम्हण समाज के जिलाध्यक्ष पंडित दिलीप तिवारी ने प्रेरित किया और इस प्रस्तुति को आप खुद भी पढिये और अपने परिवार को पढकर सुनाईये ।
विष्णु जी के छटवे रूप में धरती पर अवतार लिया। भोलेनाथ से फरसा पाकर नाम हा परशुराम लिया। परसू मिला उन्हें महाकाल से दुष्टों का संहार किया।।
भगवन रूप में विष्णु जी ने परशुराम अवतार लिया।। भार्गव गोत्र के आज्ञाकारी, संतानों में श्रेष्ठ हैं ।
ब्राम्हणों के है पालन हारी, गुरुवरों के वे जेष्ठ है। माता पिता के आज्ञाकारी , श्रृष्टि में सम्मान मिला ।
भगवन रूपि परशुराम को अमरता का वरदान मिला । जमदग्नि रेणुका के पुत्र के रूप में उन्होंने ने जन्म लिया।
पिता की हत्या से आहत फिर परशुराम ने प्रण ये किया।। फरसा धारण कर धरती से फिर दुष्टों का नाश किया।
क्रूर क्षत्रियों का वध कर पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन किया, टूटा धनुष शिव जी का ..क्रोध हा परशुराम ने प्रकट किया।
परशुराम को शांत हा करने को राम ने विष्णु का रूप धरा। लिया विष्णु के अवतार , है दोनो राम से परशुराम मिले,
खुद को राम में देख के परशुराम आनंद विभोर हुए।
भीष्म द्रोण कोरव पांडव को श्रेष्ठ विद्या का दान दिया। युद्ध में हारे न कोई वीर , ऐसा उन्हें वरदान दिया ।।
पांडव को वरदान दिया और कर्ण को ऐसा श्राप दिया । मानव जाति की रक्षा कर दुष्टों का संहार किया।।
हैहयवंश में 5 पुत्रो को जीवन का अभयदान दिया । ऋषि कशयप को भगवन जी ने जीत पृथ्वी का दान किया ।।
तीर चलाकर परशुराम ने सारा समुद्र धकेल दिया । कोकड गोवा और केरल , भूमि, जीवन निर्माण किया ।।
परशुराम के वंशजों की जग में ऊंची शान है। परशुराम जी का वैभव ,ही ब्राह्मणों का सम्मान है।।
आपके के चरणों में हम सबका सब कुछ ही समर्पित है। तन मन धन सबकुछ ही ,अर्पित जीवन भी समर्पित है।।