सिवनी – योगी,भोगी और रोगी ये तीन लोग रात्रि में जागरण करते है योगी योग साधना करने के लिए भोगी भोग करने और रोगी अपने रोग के कारण उसे रात्रि में निद्रा नही आती है। जगतगुरू शकराचार्य ब्रम्हलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी महाराज के परमशिष्य आचार्य प.हितेन्द्र पाण्डेय जी महाराज के मुखारविद से भागवत कथा रूपी गंगा नगर के बाहुबली राशि लॉन में प्रवाहित हो रही है जहां 108 श्रीमदभागवत महापुराण महायज्ञ एवं गणेश सूर्य,विष्णु,शिव एवं ललिता लक्षार्चन यज्ञ का भव्य एवं विशाल आयोजन किया जा रहा है मंगलवार को कृष्णलीलाओ का वर्णन करते हुए श्री शास्त्री जी ने बताया कि त्रेता में जो भी साधक थे नर नारी जो भी भगवान का वरण करना चाहते थे चूकि उस समय भगवान राम मर्यादा पुरूषोत्तम थे इसलिए भगवान ने मन मन सबको अपना स्वीकार करते हुए अगले अवतार में स्वीकार करने का वादा किया और द्वापर में जब भगवान का कृष्णवतार हुआ तो भगवान ने सबको गोपी रूप में स्वीकार किया।

जिसके बाद गोर्वधन पूजन,56 भोग का आयोजन किया गया। आगे श्री शास्त्री जी ने बताया कि शरदपूर्णिमा की रात्रि इसलिए महत्वपूर्ण कहलाती है क्योकि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है इसलिए चंद्रमा का प्रभाव सबसे ज्यादा पृथ्वी पर पडता है इसलिए लोग रात्रि को चंद्रमा की रौशनी में खीर रखते है जिसका प्रभाव उस पर पडता है। जिस रात भगवान रासलीला करने गये तब उस स्थान पर गोपी रूप में जाबाली ऋषि सबसे पहले पहुॅचे जाबाली ऋषि के नाम पर ही जबलपुर का नाम पडा हमारा महाकौशल क्षेत्र बहुत ही पवित्र है क्योकि इस धरती पर शिवस्वरूप द्विपीठाधीश्वर जगतगुरू ब्रम्हलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का जन्म हुआ।

जब भी हमारे जीवन में दुख और परेशानी आये तो उसे भगवान के चरणो में समर्पित करना चाहिए क्योकि हमारा दुख और परेशानी दूर करने वाले सिर्फ भगवान ही है। दुनिया नही। जब हम काम,को्रध,मद,लोभ,ईष्या को त्याग कर देगे तभी भगवतप्राप्ति संभव है। जितनी भी वेदो की ऋचाये है वे भी भगवान की गोपीयॉ है इसलिए इन ऋचाओ का शुद्ध और सात्विक रूप से इनका उच्चारण अध्ययन करना चाहिए। शास्त्री जी ने आगे नदियो के महत्व को समझाते हुए बताया कि मॉ नर्मदा के सिर्फ दर्शन मात्र से नदियो की परिक्रमा के फल की प्राप्ति हो जाती है। जिसके बाद कुब्जा उद्धार चार्णुर मुष्टिक वध कंश वध का वर्णन कर कृष्ण विवाह का सुंदर वर्णन किया गया।