सिवनी – आपने कभी ये देखा या सुना है कि जिसकी मासिक पगार महज 5000 या 6000 रूपये महिना हो उस व्यक्ति के गले में मोटी – मोटी सोने की जंजीर पैरो में मंहगे – मंहगे जूते और जब साईड में टंगा हुआ बैग भी कम – कम से उसकी कीमत आॅकी जाय तो वह 10 हजार की कीमत से उपर तो होगा ही इसके अलावा हर जगह फोर व्हीलर वो भी खुद की इसके अलावा आलीशान मकान अब आगे कुछ भी बताने की जरूरत है कि यह कल्पना तो हम जिसे महिने का 20 हजार भी मिलता होगा तो उसके बारे में भी नही कर सकते अब आपको लेकर आते है सही मुददे पर आपको बता दे ये सब कुछ कैसे होता है
किसान को पता नही और बिचैलिये ने करा लिया पंजीयन
कुछ ऐसे ही एक मामले का खुलासा हुआ जिसमें एक व्यक्ति ने खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिकारी,सिवनी से करते हुए बताया कि मेरा नाम अनिल कुमार है मै बरघाट का रहने वाला हूॅ मेरी भूमि ग्राम उलट जो कि तहसील बरघाट जिला सिवनी के अंतर्गत आती है मेरी भूमि पटवारी हल्का नम्बर यह है जिसका खसरा नम्बर यह है रकबा 0.54 है। उक्त रकबा के फसल उपार्जन किसान पंजीयन में मेरे नाम के स्थान पर निवासी साल्हेकला के नाम से पंजीयन दिनोंक 10/03/2024 को मेरी बगैर सहमति के पंजीयन केन्द्र वृहत्ताकार सेवा सहकारी समिति गंगेरूआ, धपारा दवारा कर दिया गया था जब में पंजीयन करवाने पंजीयन केन्द्र पहुंचा तो प्रकरण मेरी जानकारी में आया जिसकी सूचना मेरे द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को फोन पर दी गयी साथ ही पंजीयन कर्ता के द्वारा बताया गया कि किसी व्यापारी के द्वारा यह कार्य किया गया है हम इस प्रकरण की जाँच कर आवश्यक कार्यवाही करे। आगे पीडित किसान ने अधिकारी को लिखा कि जब हमारे जैसे शिक्षित और जागरूक व किसान के साथ ऐसा हो रहा है तो जो छोटे किसानों के नाम से पजीयन न होकर किसी बिचोलियो के नाम से पंजीयन कर शासन और अन्नदाता को पहुंचायी जा रही आर्थिक क्षति को रोका जा सकें।
जब मामले की शिकायत की गई तो फर्जी पंजीयन को डिलिट कर दिया गया
शिकायतकर्ता ने शिकायत में बताया कि जब इस मामले की शिकायत पीडित द्वारा उच्चाधिकारियो को दी जाती है तो को पंजीयन को विभाग द्वारा डिलीट कर दिया गया जिसके बाद पीडित ने बताया कि मेरे द्वारा दिनांक 14/10/2024 को अपना पंजीयन करवा लिया गया है।
पीडित ने इस मामले की जाॅच उच्चस्तर पर किये जाने की मांग की है
जिसके बाद पीडित शिकायतकर्ता ने इस प्रकार से हो रहे पंजीयन की जाँच कर संबंधित दोषियों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की जिससे अन्नदाता के साथ हो रहे अन्याय को रोका जाकर उन्हें न्याय प्राप्त हो एवं शासन को इस प्रकार से फर्जीवाड़ा कर आर्थिक क्षति पहुंचा रहे दोषियों के विरूद्ध त्वरित कार्यवाही करने की मांग पीडित द्वारा कलेक्टर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बरघाट एवं तहसीलदार बरघाट को की गई है।
चंद बरासो में जिनके पैरो में चप्पल नही होती थी अब कार्यालय आ रहे महंगी कारो से
सूत्रो की माने तो यह सब कुछ घटनाक्रम एक जागरूक किसान के साथ किया गया आपको बता दे ऐसा घालमेल जब से सोयाबीन गेहूॅ मक्का चना साहित अन्य अनाजो की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हुई है तब से यह सब कुछ चल रहा है जिसमें बाकायदा एक पूरा गिरोह काम करता है माल कहां से लेकर आना है कैसे आना है उसे कैसे रिकार्ड में चढाया जायेगा किसके नाम चढाया जाना है यह सब कुछ बडे योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाता है और बाकायदा काम ऐसा होता है मानो उन्हे इस बात की टेªंिनग दी गई हो।
इसके पहले भी कई सारे वाहनो मे चोरी का अनाज पकडा जा चुका है
ग्रामीण क्षेत्रो के चैक चैराहा पर यह चर्चा आम है कि इसमें सारे लोग शामिल होते है यहा तक की ट्रांसपेार्टर भी शामिल होता है कि माल को किस तरह रफा – दफा करना है पूर्व में कई सारे मामले प्रकाश में आये है जहां हजारो क्विंटल अनाज को किस तरह बर्बाद कर दिया गया जिसमें बाकायदा साजिश रची गई कि कही माल चोरी हो गया तो कही अनाज तेज बारिश होने खराब हो गया। आज भी हम बात कर रहे है कि यदि किसानो के रकबे के हिसाब से अनाज खरीदी का रिकार्ड खगाला जाये कि प्रत्येक सोसायटी में कितने किसान पंजीकृत है कुल रकबा कितना है और कुल खरीदी कितनी हुई और जिस किसान के नाम पर पंजीयन किया गया उस किसान के खेत में क्या लगाया गया था और उसने खरीदी केन्द्र में आकर क्या बेचा और वह अनाज बेचने सोसायटी गया भी नही या उसका अनाज बिक भी गया और उसका पेमेंट भी हो गया इन बातो की जाॅच होनी चाहिए क्योकि सारा की सारा खेल यही पर है ।
अनाज माफिया बहुत बडे स्तर पर काम कर रहा
सूत्रो की माने तो कुछ मिलाकर कहे तो इस मामले में अनाज माफिया बहुत बडे स्तर पर काम कर रहा है जो सरकार को चूना लगाकर खुद मालामाल हो रहे है इनकी सम्पत्ति के बारे में जानकारी जुटाई जाये तो पता चल जायेगा कि इससे जुडे लोगो की सम्पत्ति समर्थन ूमूल्य पर अनाज खरीदी से पहले कितनी थी और अब कितनी है बडे बडे महानगरो में इनके नाम बेनामी सम्पत्ति कितनी है इनके नाते रिश्तेदारो के पास पहले क्या था और अब चंद बरसो में इतनी बेनामी सम्पत्ति के मालिक कैसे बन गए सब कुछ जाॅच का विषय है जो सरकार के खुफिया विभाग किया जाना चाहिए।
पहले पिता थे अब अपनी जगह कैसे और किसके आदेश से बेटा कर रहा काम
आपको बता दे इसके साथ ही अधिकांश जगहो पर पिता अपने बच्चो को पदस्थ कर रहे है क्या विभाग का इस ओर ध्यान नही है शासन को नियुक्तियो में हो रही धांधली पर भी ध्यान देना होगा कि कितनी सोसायटियो या खरीदी केन्द्रो में कितने प्रबंधको ने अपने बच्चो को ही नियुक्त करके रखा हुआ है जबकि इस मामले में ग्रामीण क्षेत्र के अन्य बेरोजगार पढे लिखे युवाओ को मौका दिया जाना चाहिए।