धडल्ले से अवैध पैथालाॅजी का खेला चल रहा है क्षेत्र में
मालामाल हो रहे अवैध डाक्टर और पैथालाॅजी संचालक
टेबल कुर्सी रखो और बाहर बोर्ड लगाओ पैथालाॅजी का, शर्ट के उपर सिर्फ एक सफेद कोट

सिवनी – एक समय था जब हर आदमी चिकित्सक को भगवान मानता था और यह सच भी है क्योकि यदि कहा जाये आदमी को यदि भगवान के बाद कोई जीवनदान दे सकता है तो वो है चिकित्सक लेकिन अब कुछेक चिकित्सको ने इस पेशे को बदनाम करके रख दिया है इसे एक व्यवसाय का नाम दे दिया गया है बडे – बडे महानगरो में तो मानवअंगो की तस्करी तक की जाती है आदमी इलाज कुछ का कराने जाता है बाद में घर लौटने पर पता चलता है कि उसकी तो किडनी ही गायब है आपको बता दे विज्ञान के इस आधुनिक दौर में मनुष्य ने कहा से कहा छंलाग लगा दी है अब विज्ञान की तकनीक इतनी आगे पहुॅच चुकी है कि आप और हम कल्पना भी नही कर सकते है। ऐसे दौर में चाहे नर्सिंग होम की बात करे या अवैध रूप से संचालित पैथालाॅजी इनका कारोबार शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण अंचलो मं इनका काला कारोबार पैरामीशियम की भाॅति अपने पैर पसार रहा है जो कि आम आदमी के लिए सिरदर्द बन चुका है मरीज लोग जब चिकित्सक के पास छोटी मोटी बीमारी को लेकर जाते है तो चिकित्सक के द्वारा खून के अलावा किसी भी तरह की जाॅच कराने की सलाह दे दी जाती है। और कहा जाता है कि पहले यह टेस्ट कराकर लाओ तब दिखाना तब ऐसी परिस्थिति मे मरीज को मजबूरी में पैथालाॅजी जाकर रिपोर्ट लाना होता है।
बिना वैघ दस्तावेज के संचालित हो रहे पैथालाॅजी सेंटर
इन सबके पीछे कमीशन को बहुत बडा खेला चलता है और जो पैथालाॅजी है उनके पास ना तो पैथालाॅजी संचालन की कोई अनुमति है और ना ही कोई मशीन और ना ही कोई अनुभवी व्यक्ति सब महुआ छोला चल रहा है नगर समेत बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही पैथोलॉजी लैब संचालित हो रही है स्वास्थ्य विभाग को इससे कोई लेना – देना नही है। क्षेत्र में धडल्ले से पैथोलॉजी सेंटर पर मरीजों से खून के नमूने लिए जा रहे है। कलेक्शन संचालक से रजिस्ट्रेशन संबंधी कागजात दिखाने को कहा जाता है तो उनके पास कुछ नही होता बल्कि वे अपनी पकड की धौंस जमाते है। हालांकि इनके पास कोई रजिस्ट्रेेशन संबंधी या सैंपल कलेक्शन संबंधी कोई कागजात नहीं होते है । बिना रजिस्ट्रेशन के लैब सेंटर चलते हुए मिलने पर उसे सील कर दिया जाता है लेकिन ऐसा नगर समेत क्षेत्र में नही हो रहा है इसलिए अवैध पैथालाॅजी चलाने वाले इस काले कारोबार को धडल्ले से कर रहे है और मरीजों के खून के सैंपल लिए जा रहे है। जब लैब के संचालको से रजिस्ट्रेशन संबंधी कागजात दिखाने को कहा जाता है तो वह भी इधर-उधर देखने लग जाते है और कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाते। एसीएमओ डॉक्टर अशोक हांडा ने बताया कि बिना रजिस्ट्रेशन के चल रही दोनों पैथोलॉजी लैब को सील कर दिया गया है।
मोटे कमीशन का होता है खेला
इस मामले मे जब जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि यदि आपके खून की जाॅच के 1000 रूपये लिये गए है तो उसमें खाली डाक्टर का कमीशन 600 रूपये होता है अब आप अंदाजा लगा सकते है कि कितना बडा खेला मरीजो के साथ हो रहा है।
कोई जाॅच नही होती सब कुछ कम्प्यूटर में फीड रहता है
आपको एक और चैकाने वाली जानकारी दे रहे है चिकित्सक द्वारा जो जाॅच कराई जाने की सलाह दी जाती है और आप पैथालाॅजी में जाकर कराते है तो उनके पास जाॅच – वाॅच नही होती खाली वो आपको दिखाने के लिए शाम को आना कल आना परसो आना आपकी जाॅच हैदराबाद से होकर आयेगा नागपुर से आयेगी या मुम्बई से आयेगी ऐसा कहकर आपसे मोटी रकम वसूल ली जाती है लेकिन ऐसा होता नही है इनके पास आप जायेंगे तो सबसे पहले आपसे नाम आपकी उम्र पूछ ली जायेगी बस इतने भर से आपकी जाॅच हो जाती है और आपकी बीमारी तय हो जाती है और प्रिंट आउट निकाल कर लिफाफे में बंद कर आपको लम्बा चैडा बिल आपको हाथो में थमा दिया जाता है। और यह खेल आज से नही बरसो से चल रहा है लेकिन इस पर कार्रवाई बिल्कुल नही हो रही है ।

कहां – कहां चल रहा खेल
क्षेत्र के सिवनी,बरघाट,कुरई,लखनादौन केवलारी,छपारा,धनौरा,घंसौर सहित क्षेत्र में धडल्ले यह कारोबार फल – फूल रहा है इनकी अवैध गतिविधियो के चलते जाने कितने मरीजो को अपनी जान से हाथ धोना पडता है लेकिन फिर भी प्रशासन मौन साधे बैठा है।
बाहर के डाक्टर फेक देते है लोकल जाॅच रिपोर्ट को
ब यहा के मरीज अन्य जिलो के चिकित्सको के पास ईलाज कराने जाते है तो वे यहां कि रिपोर्ट को देखकर फेक देते है और नई रिपोर्ट कराने की सलाह देते है जब रिपोर्टो का मिलान किया जाता है तो बहुत सी खामिया पाई जाती है जिसमें यू कहे तो फर्जी और अवैध पैथालाॅजी की रिपोर्ट किसी काम की नही होती है।
आजकल कुछेक बीमारी उम्र के साथ हो जाती है वही दर्शाया जाता है
इन अवैध पौथालाॅजियो में नाम उम्र इसलिए लिखाई जाती है ताकि उस व्यक्ति की उम्र देखकर कौन सी बीमारी दर्शायी जाये साथ ही जो उसकी उम्र होगी उस उम्र के हिसाब से कौन सी बीमारी हो सकती है उसे दर्शा दिया जाता है जो कि उनके कम्प्यूटर में पहले से ही फीड रहता है।
पैथालाजी में आने वाले की जेब पहले से नाप लेते है
पैथालाॅजी संचालक द्वारा जो मरीज आता है वह कितने पैसे वाला है उसकी जाॅच ये लोग शक्ल देखकर कर लेते है क्योकि पहले इन्टव्यू जब लेते है तब पूछ लेते है कि आप क्या करते है कहां रहते है कितनी जमीन है जमीन पानी वाली है बिना पानी वाली किस क्षेत्र में जमीन है एक फसल लेते है या दो फसल कुछ इस तरह के सवाल जवाब लेेने के बाद इनकी जाॅच रिपोर्ट तैयार होती है कि पैसे वाले को लम्बे चैडे खर्चे वाली बीमारी दर्शाना है और मध्यम आय वाले को थोडी कम।

नगर सहित क्षेत्र में कितने वैघ नर्सिंग होम,पैथालाॅजी है इसकी जानकारी आपको संवाददूत के अगले अंक में दी जाएगी।