सिवनी – अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का जिला स्तरीय कार्यक्रम बुधवार 11 दिसम्बर को जिला मुख्यालय के मठ मंदिर प्रांगण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर विधायक सिवनी दिनेश राय, नगरपालिका अध्यक्ष शफीक खान सहित अन्य जनप्रतिनिधियों तथा कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन एवं पुलिस अधीक्षक सुनील मेहता सहित अन्य विभागों के जिलाधिकारियों तथा बड़ी संख्या में आमजनों की सहभागिता रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान कृष्ण के चित्र में माल्यार्पण तथा द्वीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा अपने उद्बोधन में वर्तमान परिदृश्य में गीता की प्रासंगिकता तथा महत्व में प्रकाश डाला गया । इसके साथ ही अन्य वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत करने के साथ ही गीता पाठ किया। इसके अतिरिक्त स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में भोपाल में मुख्य मंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्यातिथ्य में आयोजित हुए राज्य स्तरीय कार्यक्रम के लाइव प्रसारण को देखा एवं सुना गया।
साथ ही साथ मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान एवं मुख्यमंत्री जनकल्याण पर्व का शुभारंभ भी किया गया। हमारे जीवन में गीता में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशो में योग के महत्व को समझाते हुए बताया गया जिसमें श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते है योगस्थ कुरू कर्माणाी अर्थात योग में स्थित होकर कर्म करो हम जो भी कर्म करे विचारो के श्रोत अर्थात जहां से विचारो का उदगम स्थल है वहा स्थित होकर हम यदि कर्म करते है तो उस कार्य में सफलता मिलना निश्चित है। कार्यक्रम में उपस्थित गीता के उपदेशो पर प्रकाश डालते हुए पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हम सभी को गीता पढना चाहिए हमे जीवन मे फल की बिना इच्छा किए कर्म चाहिए,भगवान ने अपना विराट दिखाते हुए कहा था कि भगवान योगेश्वर ने अपना विराट रूप दिखाया,निर्गुण साधना और सगुण साधन में अंतर समझाया। कलेक्टर ने बताया कि भगवत गीता के उपदेशो में हमारे सारे प्रश्नो के जवाब छिपे हुए है। मुनमुन राय ने जीवन के यर्थात सत्य को समझाते हुए कहा कि हमे सत्कर्म करते रहना चाहिए क्योकि अंत में हमारे साथ सिर्फ हमारे द्वारा जीवन में किए गए सत्कर्म और असतकर्म ही जाने वाले है।
अतर्राष्टिय कृष्णा भावनामृत संघ ( इस्कान ) की ओर से करन ठाकुर ने कहा कि गीता में हम कौन है भगवान कौन है हमे मनुष्य जीवन क्यो मिला है इन सब का जवाब गीता में मिल जायेगा। एल्बर्ट आईन्सटाईन ने कहा था कि मै जो थ्योरी दे रहा हूॅ वो सब कुछ भगवत गीता में दर्ज है। हमारी शरीर नश्वर है अर्थात नष्ट होने वाला है लेकिन हमारी जो आत्मा है वह अजर है अमर है,हमे अपने कर्म सुख हो दुख हर परिस्थिति में हमे सिर्फ अपने कर्मो पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।