आखिर उन खिलाडियो का क्या दोष जो अपनी आॅखो में बडे – बडे सपने सजोए हुए है।

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सिवनी – संचालनालय खेल और युवा कल्याण विभाग भोपाल के निर्देशानुसार जिला मुख्यालय सिवनी के मेजर ध्यानचंद सिंथेटिक हॉकी स्टेडियम सिवनी में संचालित हॉकी फीडर सेंटर सिवनी एवं खेलो इंडिया लघु हॉकी प्रशिक्षण केन्द्र सिवनी में रिक्त खिलाड़ियों की पूर्ति हेतु कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन व पुलिस अधीक्षक सिवनी सुनील मेहता के मार्गदर्शन एवं श्रीमती मनु धुर्वे, जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी सिवनी के कुशल नेतृत्व में विगत दिवस को जिन खिलाड़ी की अर्द्धवार्षिक परीक्षा नहीं थी, ऐसे 08 वर्ष से 18 वर्ष तक के खिलाड़ियों का चयन / ट्रायल आयोजित किया गया। उक्त चयन/ट्रायल में बालक वर्ग में 196 खिलाड़ी तथा बालिका वर्ग में 88 खिलाड़ी शामिल हुये। चयन/ट्रायल में शामिल उक्त खिलाड़ियों में से 14 से 18 वर्ष तक के 14 बालक एवं 15 बालिका इस प्रकार कुल 29 खिलाड़ियों का चयन खेलो इंडिया लघु हॉकी प्रशिक्षण केन्द्र हेतु किया जावेगा तथा 08 वर्ष से 14 वर्ष के खिलाड़ियों का चयन हॉकी फीडर सेंटर हेतु किया जाना है। अर्द्ध वार्षिक परीक्षा एवं अन्य अपरिहार्य कारणों से 08 वर्ष से 14 वर्ष के मध्य के जो खिलाड़ी आज आयोजित चयन/ट्रायल में शामिल नहीं हो सकें हैं, उन सभी खिलाड़ियों का चयन /ट्रायल आगामी दिनांक 27.12.2024 को पुनः आयोजित किया जावेगा तथा उसके उपरांत आज 19.12.2024 तथा 27.12.2024 को आयोजित चयन/ट्रायल में शामिल 08 वर्ष से 14 वर्ष के मध्य के 30 बालक खिलाड़ी एवं 30 बालिका खिलाड़ियों का चयन हॉकी फीडर सेंटर हेतु किया जावेगा। जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी द्वारा 08 वर्ष से 14 वर्ष के मध्य के ऐसे सभी खिलाड़ी जो आज आयोजित चयन/ ट्रायल में शामिल नहीं हो सकें हैं। उन सभी से दिनांक 27.12.2024 को आयोजित चयन ट्रायल में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की गई है। इन सबके बीच नगर के हाॅकी कोच जिनको खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा कोच के रूप में रखा गया है कलेक्टर महोदया को यह भी दिखवाना होगा कि उनमें से कितने कोच सही समय पर खिलाडियो को कोंचिग दे भी रहे है या नही यदि खिलाडियो को सही मार्गदर्शन और कोचिंग नही मिलेगी तो बच्चे कैसे आगे बढेंगें कुछ हाॅकी के कुछ कोच ऐसे है जो एक ही समय पर सरकार से भी हाॅकी कोचिंग की पगार पा रहे है और उसी समय पर जाकर नगर से 8 किलोमीटर दूर जाकर दूसरे प्राईवेट स्कूल में भी स्पोर्टस टीचर की नौकरी कर प्रशासन की आॅखो में विगत कई वर्षो से धूल झोकी जा रही है लेकिन इन सबके बची उन बेकसूर बच्चो को क्यो दोष जो अपनी आॅखो के बडे बडे सपने सजोए हुए एक अच्छे मार्गदर्शक का सपना देख रहे है और जिम्मेदार एक हाथ से दो दो लडडू खाये जा रहे है देखने वाले देख रहे है बोलने की आखिर कोई हिमाकत क्यो नही करता।