सिवनी – संवाददूत न्यूज को भाजपा के अध्यक्ष पद पर बैठे ज्ञानचंद सनोडिया से इन्टरव्यू के के दौरान जो सवाल पूछे गए
पार्टी के हाईकमान का अनुशासनात्मक चाबुक चलने के बाद ही स्थिति नियंत्रण में आ पाई।
जिसमें विधानसभा चुनाव में विधायक बनने की कोशिश की बात और पार्टी से विद्रोह कर लेने की के सवालो के जवाब में ज्ञानचंद सनोडिया द्वारा जो जवाब दिये गए जिसमें प्रतिउत्तर में आपको बता दें ज्ञानचंद सनोडिया द्वारा प्रथम सवाल का एकदम मिथ्या कथन किया गया 2023 में मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन में इन्होने अपने आप को पार्टी का प्रत्याशी बनने और टिकट पाने के बहुत जतन किये थे जब टिकट नही मिला तो वर्तमान विधायक के विरोधी धडे के लोगो ने इसमें पार्टी के जिलास्तर के प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल थे जिन्हे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निर्दलीय और बागी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडाने की पूरी तैयारी कर ली थी उस वक्त की खबरें और छायाचित्र आज भी प्रमाण है। वो पार्टी के हाईकमान का अनुशासनात्मक चाबुक चलने के बाद ही स्थिति नियंत्रण में आ पाई।
शहर में कोई कार्य नही हुआ है तो उसके लिए इन्ही की पार्टी के तीन पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष जिम्मेदार और जवाबदेह है
जब ज्ञानचंद सनोडिया से अस्थाई अध्यक्षी मिलने से खुश होने का सवाल पूछा गया तो तो उन्होने कांग्रेंस नीत नगर सरकार में पिछले तीन सालो के कार्यो की तुलना आसपास के जिलो से की किंतु शायद उनकी स्मृति क्षीण या नष्ट हो चुकी है क्योकि अगर शहर में कोई कार्य नही हुआ है तो उसके लिए इन्ही की पार्टी के तीन पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष जिम्मेदार और जवाबदेह है जो विगत 15 सालो से अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कायम रहे है।
आखिर ऐसा क्या कारण था कि देश और प्रदेश में भाजपा का जादू और मोदी लहर के बावजूद जनता ने भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के पार्षदो को चुना।
और नगर के साथ – साथ देश और प्रदेश में इन्ही की सत्ता रही है। ज्ञानचंद उनकी नही, जनता के समर्थन की बात करते है तो आखिर ऐसा क्या कारण था कि देश और प्रदेश में भाजपा का जादू और मोदी लहर के बावजूद जनता ने भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के पार्षदो को चुना।
जब दलसागर से लेकर बीच टापू तक बनने वाले पुल के पिल्लरो के बारे में ज्ञानचंद सनोडिया से सवाल पूछा गया तो उन्होने पूर्णतः झूठ बोला आपको बता दें पार्टी के लैटरहैड पर इनके नेतृत्व में शिकायतें की गई थी जिसमें आम जनता के बीच का कोई भी व्यक्ति शामिल नही था इस बात के प्रमाण भी उपलब्ध है।
पिल्लरो को तोडे जाने की बात भी कही ना कही आज वे एकदम इस मामले में पलटी खा रहे है।
जब तक ज्ञानचंद सनोडिया नपा में नेताप्रतिपक्ष रहे वे चीखचीखकर इस मुददे को हवा देते रहे और लोकधन के अपव्यय की बातें करते रहे और इन पिल्लरो को तोडे जाने की बात भी कही ना कही आज वे एकदम इस मामले में पलटी खा रहे है।
भ्रष्टाचार के मामले में अन्य अधिकारी कर्मचारी इस मामले में संलिप्त पाये गए है। और उनका नाम दोषियो की लिष्ट में क्यो शामिल नहीं है
जब ज्ञानचंद सनोडियाजी से भ्रष्टाचार के मामले में सवाल पूछे जाने पर उन्होने सिर्फ शफीक खान को दोषी बताया इस मामले में ज्ञानचंद ये बताये कि भ्रष्टाचार के मामले में किस आदेश के तहत सिर्फ शफीक खान दोषी पाए गए है,अन्य कोई नही यदि ऐसा है तो जो अन्य अधिकारी कर्मचारी इस मामले में संलिप्त पाये गए है। और उनका नाम दोषियो की लिष्ट में क्यो शामिल है जिसमें सर्वप्रमुख सहायक यंत्री एस.के.तिवारी शामिल है। जो पूर्व में भी भ्रष्टाचार के मामले में माननीय मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दोषी पाये जाकर जुर्माने से दंडित किये जा चुके है।
यदि राजू यादव ज्ञानचंद के साथ थे तो वे पार्टी के ही पार्षदो और कार्यकर्ताओ के साथ अपनी दावेदारी और कथित विरोध दर्ज कराने कांग्रेस के सहयोग से भोपाल क्यों गए।
और यदि कही धुॅंआ उठ रहा है तो आग अवश्य ही कही ना कही होगी
मुरम कांड में भले ही ज्ञानचंद का नाम ना हो लेकिन गुरू तो यही थे और यदि कही धुॅंआ उठ रहा है तो आग अवश्य ही कही ना कही होगी।
यदि शहर की जनता को आजतक कोई भी अच्छा और योग्य व्यक्ति नही मिला तो क्या पिछली तीन परिषदो में भाजपाई नपा अध्यक्ष बुरे और अयोग्य थे जिनकी कमी ज्ञानचंद पूरी करेंगें।
रही बात जलसंकट की तो उस दौरान विधायक दिनेश राय मुनमुन और जिला कांग्रेस अध्यक्ष सहित विपक्ष के सभी पार्षद अपने – अपने साधनो से जनता को जलापूर्ति कराते रहे किंतु ज्ञानचंद सनोडिया कही भी नजर नही आए।
भ्रष्टाचार के जिन मुददो पर अभी तक हाय तौबा मचाते थे अब वो मुददे इनकी नजर में पाक साफ है और भ्रष्टाचार मुक्त हो गए है
ज्ञानचंद कह रहे है मै आज पद पर बैठा हूॅं और आप मुझसे आज भ्रष्टाचार की बात कह रहे है तो इसका सीधा सा अर्थ यही निकलता है कि अध्यक्षीय मिलते ही भ्रष्टाचार के जिन मुददो पर अभी तक हाय तौबा मचाते थे अब वो मुददे इनकी नजर में पाक साफ है और भ्रष्टाचार मुक्त हो गए है।
जहां तक बात हमारे और हमारी पार्टी द्वारा भ्रष्टाचार नही करने की है तो श्रीमति पार्वती जंघेला और श्री राजेश त्रिवेदी के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई जनहित याचिकायें और श्रीमति आरती शुक्ला के कारनामे क्या प्रशंसापत्र थे।
अंत में मनोनित नपा अपना ज्ञानचंद सनोडिया जी से यही जनापेक्षा है कि पहले वे तथ्यो की भलीभाॅति अध्ययन व अवलोकन कर लें और उसके बाद ही बयान आदि दें। इस तरह मिडिया और जनमानस को भ्रमित ना करें।







