छठे दिन की कथा भक्तों को भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति की प्रेरणा देती है.
सिवनी – राजपूत कालोनी स्थित शिवमंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन सोमवार को वृंदावन से पधारे कथा व्यास राष्ट्रीय वक्ता शैलेन्द्रकृष्ण शास्त्रीजी महाराज ने कथा का रसपान कराया। व्यासपीठ से कहा कि सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं, जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को अनायास ही आकर्षित करती हैं। जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं।

कथा व्यास ने कहा कि नंदालय में गोपियों का तांता लगा रहता है। हर गोपी भगवान से प्रार्थना करती है कि किसी न किसी बहाने कन्हैया मेरे घर आए। जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन्मुक्त है। एक बार माखन चोरी करते समय मैया यशोदा आ गईं तो कन्हैया ने कहा कि मैया तुमने इतने मणिमय आभूषण पहना दिए हैं जिससे मेरे हाथ गर्म हो गए हैं तो माखन की हांडी में हाथ डालकर इन हाथों को शीतलता प्रदान कर रहा हूं।
कथा में भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम और भक्ति का सुंदर वर्णन है, रुक्मणी के सौंदर्य, भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके प्रेम और विवाह के आनंद का वर्णन है, भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनके अद्भुत रूप का वर्णन किया गया है,भक्त प्रेम और भक्ति के महत्व को सिखाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म। श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनाई गई , जिसमें कथाव्यास ने बताया कि वे किस प्रकार रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए थे.

बाल्यकाल की लीलाएँ
आगे कथाव्यास ने भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की लीलाओं का वर्णन किया जिसमें कंस को मारने और गोकुल में उनके द्वारा किए गए कार्य शामिल हैं.
रुक्मिणी विवाह
भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह का वर्णन किया गया जो कि एक प्रेम विवाह था.
मथुरा से द्वारिका तक की यात्रा
भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से द्वारिका की यात्रा का वर्णन किया गया है, जो कि एक महत्वपूर्ण घटना थी.
श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन की कथा का महत्व
श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन की कथा भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन करती है, जिससे भक्तों को भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति की प्रेरणा देती है।







